*”खुली किताब”*
मुक्तक –
“खुली किताब”
खुली किताब के पन्नों में खो जाती ,
जीवन जीने की ललक है जगाती,
अकेलापन में सहारा दे जाती ,
चेतना जागृत कर सृजन कराती।
शशिकला व्यास ✍️
मुक्तक –
“खुली किताब”
खुली किताब के पन्नों में खो जाती ,
जीवन जीने की ललक है जगाती,
अकेलापन में सहारा दे जाती ,
चेतना जागृत कर सृजन कराती।
शशिकला व्यास ✍️