Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Oct 2021 · 3 min read

खुद को ही सर्वश्रेष्ठ न समझें

आलेख
खुद को ही सर्वश्रेष्ठ न समझें
***********************
सुधीर श्रीवास्तव
श्रेष्ठ या सर्वश्रेष्ठ होना हमारे आपके विचारों, सोच को जबरन खुद को घोषित करने की जिद कर लेने भर से नहीं हो जाता।परंतु मानव की एक बड़ी कमजोरी है खुद को श्रेष्ठ/सर्वश्रेष्ठ समझने, मानने की। हम इसे अहम या वहम भी कह सकते हैं।परंतु श्रेष्ठ होना ही जब बड़ा मुश्किल है तब सर्वश्रेष्ठ होने की मुश्किल को आसानी से समझा जा सकता है।
हम वास्तव में क्या हैं? ये हमसे बेहतर भला कौन जान सकता है।बावजूद इसके हम बिना किसी दुविधा/अपने मुँह मियां मिट्ठू बनने के चक्कर में सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए जाने कितने गढ़े हुए तर्क जबरदस्ती दे देकर अपनी ही भद पिटवाने में तनिक भी शर्म नहीं करते। जबकि श्रेष्ठ या सर्वश्रेष्ठ जन खुद को सरल और अज्ञानी होना ही प्रदर्शित करते हैं, खुद को छोटा और सीखने की प्रक्रिया में ही खुद को दिखाते हैं।
वास्तव में हमारे गुणधर्म, ज्ञान, विवेक और काफी हद तक व्यक्तित्व और कृतित्व का समावेशी आचरण हमें श्रेष्ठ/सर्वश्रेष्ठ बनाता है, जिसका गुणगान करने की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि वो ज्ञानी, अनुभवी जन, समाज, संबंधित क्षेत्रों के पुरोधाओं की ओर स्वतः प्रकाशित किया जाने लगता है। लोग उनका अनुसरण करते हैं, सीखते हैं,उनकी तरह बनना चाहते हैं, उन्हें अपना आदर्श मानते हैं, सम्मान करते हैं और तब श्रेष्ठ/सर्वश्रेष्ठ की कतार में हम स्वतः पहुंच जाते हैं।
उच्च कुल, वंश या धनाढ्य परिवार का होना सर्वश्रेष्ठ होने की बाध्यता या गारंटी नहीं है। ज्ञान किसी की बपौती नहीं है,ज्ञान हर उसकी उतनी ही मुरीद होती है,जो उसको पाने के लिए जितना खुद को झोंकता है। जरूरी नहीं कि शैक्षणिक ज्ञान ही सब कुछ हो, बुद्धि, विवेक, चिंतन, व्यवहारिक अनुभव भी इस दिशा की दशा तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। अन्यथा आज रहीम, सूर, कबीर ,रविदास को भला कौन जानता। लेकिन इन सबने खुद को कभी सर्वश्रेष्ठ तो क्या श्रेष्ठ नहीं कहा। फिर भी उन्हें आज भी महत्व मिलता है और देने वाले भी हम,आप और समाज के लोग ही हैं।
यदि हम श्रेष्ठ या सर्वश्रेष्ठ हैं तो भी इसका आँकलन आप खुद भला कैसे कर सकते हैं। हमारे आपके पास भला कौन सा पैमाना, सूत्र या अलादीन का चिराग है, जो यह साबित करता हो कि हम या आप सर्वश्रेष्ठ हैं। अच्छा है इस होड़ में फँसकर वास्तविकता को चुनौती देकर अपनी अहमियत / महत्व कम न कीजिये।
अच्छा है खुद को ही श्रेष्ठ/सर्वश्रेष्ठ या सर्वोपरि न समझें, इसे समय, समाज पर छोड़ दीजिये, अहम पालकर अपने को नीचा मत दिखाइये। माना कि हम या आप ही श्रेष्ठ हैं ये भाव अच्छा है, मगर हम ही सर्वश्रेष्ठ हैं ,यह आपका अहम,वहम हैं और यह बताता है कि आप या हम सर्वश्रेष्ठ या श्रेष्ठ तो क्या उत्तम भी नहीं हैं। जिस पर हमें या आपको खुद ही विश्वास नहीं है।इसलिए सबसे अच्छा है कि हम या आप खुद को सर्वश्रेष्ठ दिखाने के बजाय सिर्फ़ अपने उद्देश्यों, लक्ष्यों, कर्तव्यों, जिम्मेदारियों के प्रति निष्ठावान रहें और अपना मान सम्मान, स्वाभिमान बरकरार रखें। ‘मैं ही सर्वश्रेष्ठ हूँ’ के मकड़जाल में न फँसे ,यही बेहतर ही नहीं उचित और सर्वश्रेष्ठ भी।

गोण्डा, उ.प्र.
8115285921

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 730 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
किन मुश्किलों से गुजरे और गुजर रहे हैं अबतक,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ८)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ८)
Kanchan Khanna
बेटी ही बेटी है सबकी, बेटी ही है माँ
बेटी ही बेटी है सबकी, बेटी ही है माँ
Anand Kumar
23/71.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/71.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
# नमस्कार .....
# नमस्कार .....
Chinta netam " मन "
दयालू मदन
दयालू मदन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तु शिव,तु हे त्रिकालदर्शी
तु शिव,तु हे त्रिकालदर्शी
Swami Ganganiya
पांव में मेंहदी लगी है
पांव में मेंहदी लगी है
Surinder blackpen
Everything happens for a reason. There are no coincidences.
Everything happens for a reason. There are no coincidences.
पूर्वार्थ
चांदनी न मानती।
चांदनी न मानती।
Kuldeep mishra (KD)
नर नारी
नर नारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
शिक्षक हूँ  शिक्षक ही रहूँगा
शिक्षक हूँ शिक्षक ही रहूँगा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
💐💐मेरी बहुत शिक़ायत है तुमसे💐💐
💐💐मेरी बहुत शिक़ायत है तुमसे💐💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कहती है हमें अपनी कविताओं में तो उतार कर देख लो मेरा रूप यौव
कहती है हमें अपनी कविताओं में तो उतार कर देख लो मेरा रूप यौव
DrLakshman Jha Parimal
■ विडंबना-
■ विडंबना-
*Author प्रणय प्रभात*
वतन
वतन
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
ग़रीबों को फ़क़त उपदेश की घुट्टी पिलाते हो
ग़रीबों को फ़क़त उपदेश की घुट्टी पिलाते हो
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
!! मेरी विवशता !!
!! मेरी विवशता !!
Akash Yadav
बेमेल कथन, फिजूल बात
बेमेल कथन, फिजूल बात
Dr MusafiR BaithA
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
नारी के चरित्र पर
नारी के चरित्र पर
Dr fauzia Naseem shad
*विभाजन-विभीषिका : दस दोहे*
*विभाजन-विभीषिका : दस दोहे*
Ravi Prakash
* सिला प्यार का *
* सिला प्यार का *
surenderpal vaidya
मेरा एक छोटा सा सपना है ।
मेरा एक छोटा सा सपना है ।
PRATIK JANGID
खुले लोकतंत्र में पशु तंत्र ही सबसे बड़ा हथियार है
खुले लोकतंत्र में पशु तंत्र ही सबसे बड़ा हथियार है
प्रेमदास वसु सुरेखा
हमने देखा है हिमालय को टूटते
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तुम हासिल ही हो जाओ
तुम हासिल ही हो जाओ
हिमांशु Kulshrestha
मन करता है अभी भी तेरे से मिलने का
मन करता है अभी भी तेरे से मिलने का
Ram Krishan Rastogi
सच यह गीत मैंने लिखा है
सच यह गीत मैंने लिखा है
gurudeenverma198
"तब पता चलेगा"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...