Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jun 2017 · 1 min read

” —————————खुद को आज छलेगा ” !!

आज की रचना का मूल आधार बना है –

” Azam Khan’s controversial statement against the Indian Army ‘

राजनीति की चौसर पर यह , कब तक खेल चलेगा !
मनमाने देगा बयान , और नेता हमें तलेगा !!

सीमा पर जो तन मन वारें , उनका मोल न जानें !
देशद्रोह इस देश में आखिर , कब तक यहां पलेगा !!

सोची समझी साजिश रचते , बनते बड़े मसीहा !
देश- दिलों को बांट रहे हैं , सबको यही खलेगा !!

प्रजातंत्र की आड़ में देखो , विषधर खूब पले हैं !
राजनीति के गलियारे में , उनको कौन दलेगा !

सबसे पहले देश हमारा , और उसके रखवारे !
उन पर आंच अगर आयी तो , कुछ भी नहीं टलेगा !!

निंदा के प्रस्तावों से बस , आगे की कुछ सोंचें !
कानूनों की सख्ती से ही , देश का रंग बदलेगा !!

मृत्युदण्ड हो देशद्रोह पर , या फांसी का फंदा !
न्याय तुला पर इससे नीचे , काम नहीं चलेगा !!

देशहितों पर आंच आ रही , खून अगर ना खौले !
हिंदुस्तानी होने का भ्रम , खुद को आज छलेगा !!

बृज व्यास

Language: Hindi
Tag: गीत
458 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
■ रहस्यमयी कविता
■ रहस्यमयी कविता
*Author प्रणय प्रभात*
खुशी के माहौल में दिल उदास क्यों है,
खुशी के माहौल में दिल उदास क्यों है,
कवि दीपक बवेजा
धीरे धीरे  निकल  रहे  हो तुम दिल से.....
धीरे धीरे निकल रहे हो तुम दिल से.....
Rakesh Singh
" जुदाई "
Aarti sirsat
तुम्हें प्यार करते हैं
तुम्हें प्यार करते हैं
Mukesh Kumar Sonkar
अनुसंधान
अनुसंधान
AJAY AMITABH SUMAN
जन्म कुण्डली के अनुसार भूत प्रेत के अभिष्ट योग -ज्योतिषीय शोध लेख
जन्म कुण्डली के अनुसार भूत प्रेत के अभिष्ट योग -ज्योतिषीय शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दोय चिड़कली
दोय चिड़कली
Rajdeep Singh Inda
मेरे पास नींद का फूल🌺,
मेरे पास नींद का फूल🌺,
Jitendra kumar
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
Kumar Kalhans
मुस्कुराते हुए सब बता दो।
मुस्कुराते हुए सब बता दो।
surenderpal vaidya
ఓ యువత మేలుకో..
ఓ యువత మేలుకో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
कवि रमेशराज
‘’ हमनें जो सरताज चुने है ,
‘’ हमनें जो सरताज चुने है ,
Vivek Mishra
सोचा नहीं कभी
सोचा नहीं कभी
gurudeenverma198
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
“गुरुर मत करो”
“गुरुर मत करो”
Virendra kumar
बादल
बादल
Shankar suman
हे मेरे प्रिय मित्र
हे मेरे प्रिय मित्र
कृष्णकांत गुर्जर
अब भी वही तेरा इंतजार करते है
अब भी वही तेरा इंतजार करते है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
*मॉंगता सबसे क्षमा, रिपु-वृत्ति का अवसान हो (मुक्तक)*
*मॉंगता सबसे क्षमा, रिपु-वृत्ति का अवसान हो (मुक्तक)*
Ravi Prakash
**मन में चली  हैँ शीत हवाएँ**
**मन में चली हैँ शीत हवाएँ**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अपनी चाह में सब जन ने
अपनी चाह में सब जन ने
Buddha Prakash
कृष्ण कुमार अनंत
कृष्ण कुमार अनंत
Krishna Kumar ANANT
दबी जुबान में क्यों बोलते हो?
दबी जुबान में क्यों बोलते हो?
Manoj Mahato
ये सर्द रात
ये सर्द रात
Surinder blackpen
मातृ दिवस या मात्र दिवस ?
मातृ दिवस या मात्र दिवस ?
विशाल शुक्ल
आज की प्रस्तुति: भाग 3
आज की प्रस्तुति: भाग 3
Rajeev Dutta
शर्म
शर्म
परमार प्रकाश
बलिदान
बलिदान
लक्ष्मी सिंह
Loading...