**खिली खिली कलियां**(घनाक्षरी छंद)
मनहरण — खिली खिली कलियां!
खिली खिली कलियां, बगिया में तितलियां।
भ्रमर ने भी आज तो, गुन गुन गाया है।।
महकता उपवन, सुरभित हुआ मन।
तन हुआ प्रफुल्लित, मन सुन आया है।।
आनंद से झूम रहा, कलियों को चूम रहा।
हर्षित मन आज तो, प्रेम धुन लाया है।।
हस हस पिया रस, भर गई नस नस।
अनुनय प्रकृति ने, प्रसून खिलाया है।।
राजेश व्यास अनुनय