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10 Jul 2020 · 3 min read

{{◆◆ खामोशी◆◆ }}

कितना कुछ कहती है न खामोशी .. अपने अंदर हजारों सवालों का जखीरा लिए | हर कोई बस मुस्कुराहट देखता है, दर्द कोई देखना ही नहीं चाहता है | कामयाब इंसान के पीछे सब रहते है ,मगर नाकामयाब इंसान को सब किनारे कर देते है , कोई उसकी तकलीफ अकेलापन नहीं बाटेगा | आज सब व्यस्त हो गए है ,किसी के पास समय नहीं है, आज पल भर में आप किसी से बात कर लेते है ,अपना संदेस दे सकते है , मगर फिर भी वो जुड़ाव नहीं होता | आज सब के पास हजारों दोस्त है मगर क्या उन्मे से एक भी ऐसा है जो हकीकत में आपका अपना है |
इंसान को हर वक्त सहारा नहीं चाहिए होता है, उसे बस इक साथ चाहिए होता है ..,,,,,जिसे वो अपने दिल का हाल बता सके, वो सब सुन सके जो उसके अंदर चल रहा है जो वो महसूस कर रह है | कोई तो ऐसा हो जो उसकी खामोशी में छुपे दर्द को सुन सके | लेकिन कोई सुनना चाहता है क्या ?
अक्सर मन कब और कहा हार जाता ये हम जान ही नहीं पाते है , और जब तक ज्ञात होता है, हम अपना सब कुछ गवा चुके होते है, अकेलेपल की उस खाई में होते है जहा उम्मीद की कोई किरण नहीं होती है, होता है तो बस दर्द और एक अनिश्चित मौन | जब कोई आपके दर्द को न बांटे, आपकी बाते न सुने तो इंसान खुद को समेट लेता है एक कछुए की भाती |
यहाँ बहुत से ऐसे भी होते है जिन्हे परिवार का भी साथ नहीं मिलता है ,,,, वो भी आपकी बात सुनना नहीं चाहते है ,, फिर कैसे बोले !!!! हर औलाद उतनी खुदकिस्मत नहीं होती है, के उनके पीछे उनके माँ पापा खड़े होते है | जब कुछ बुरा हो जाता है तो सब में सहानुभूति दिखने की भीड़ लग जाती है, मगर तब वो सब कहा रहते है, जब वो इंसान अपनी तकलीफ अकेलेपल से अकेले लड़ रहा होता है | हम इतने महत्वाकांक्षी हो गए है के हमे बस खुशिया ही अच्छी लगती है , किसी का दुख, अकेलापन हमें दिखाता ही नहीं है | अपनी मर्जी से रिस्ता बनाते है, अ
अपनी मर्जी से रिस्ते को निभाते है और अपनी मर्जी से रिस्ते को तोड़ देते है | हम सामने वाले की मानसिक परिस्थिति भी नहीं देखते , उसके मन का जानना भी नहीं चाहते के वो क्या चाहता है |
लोग आसानी कह देते है, क्यूँ रोते रहते हो ,, तुम्हारी आदत हो गई है रोने की ……ये भी कोई दुख है है ……
तुम ज्यादा सोचते हो , मगर सच तो ये है के सहने वाला ही जनता है के वो क्या सह रहा है , उसके अंतर्मन में कितना उथल पुथल है , मन और मस्तिसक दोनों के ही अगल अलग प्रश्न पत्र है मगर उत्तर कही नहीं |
अक्सर हम अपने स्वार्थ में उन रिस्तों को खो देते है जिन्हे वाकई में हमारी जरूरत होती है, जो हमारी खामोशी में छुपी चीखे भी सुन लेता है | अगर ज़िंदगी में कोई ऐसा है तो उसे वक्त दो , उसकी बाते सुनो, उसकी तकलीफ बाटो | कभी कभी सिर्फ सुनना भी किसी की तकलीफ को कम कर सकता उसके कोई गलत निर्णय को बदल सकता है | छोटी सी तो ज़िंदगी है ……. पता नहीं कब क्या हो जाए !!!! पता नहीं कौन सी बात , कौन सी मुलाकात, आखरी हो जाए |

Language: Hindi
Tag: लेख
5 Likes · 6 Comments · 447 Views
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