खामोशियों में सारा उम्र गुजारा हमने
खामोशियों में सारा उम्र गुजारा हमने,
हर पल अपनी कमियों को सुधारा हमने।
दिल बार- बार चाक होता रहा हमारा,
झूठ के खिलाफ बेबाक होता रहा हमारा,
जिन्दगी के रास्ते कब आसान रहे हैं
कदम- कदम पर बहुत व्यवधान रहें हैं
न जाने क्या – क्या हारा हमने,
खामोशियों में सारा उम्र गुजारा हमने।
जुटते रहते है हम टूट टूटकर
बच्चों के तरह रोए फूट फूटकर
बेफिक्र ना रही सुकून पाकर
तल में अंधेरा दिखा, दीया जलाकर
मन ही मन खुदा को पुकारा हमने
खामोशियों में सारा उम्र गुजारा हमने।
नूर फातिमा खातून नूरी
जिला कुशीनगर