ख़ुदा को ही ख़ुदा रहने दे
जो हाल है मेरा रहने दे
तू अपना मशबरा रहने दे
अपने घर की फिक्र कर
मेरे घर का तज़किरा रहने दे
तू अपने हाथ की लकीरों को बदल
मेरी तकदीर में जो है लिखा रहने दे
मुझे माँ की दुआओं पर भरोसा है
तू अपनी कड़वी दवा रहने दे
दिल तोड़ने की क्या सज़ा दूँ उसे
अब जो हुआ सो हुआ रहने दे
इनकी बेतकल्लुफी अच्छी नहीं
पलकों को झुका रहने दे
न जाने नींद आये कि न आये
मुझे यादों में मुब्तिला रहने दे
अँधेरा न सताये किसी राहगीर को
एक चराग़ राह में जला रहने दे
उससे इश्क कर ‘अर्श’ बंदगी नही
फकत खुदा को ही खुदा रहने दे