क्षणिकाएं
1.
वसुंधरा , जब कंपन त्यागने लगे
आकाश , जब उल्का वर्षा त्यागने लगे
सुनामी , जब अपना क्रोध त्यागने लगे
समझो जीवन, जीवन सा लगने लगा है
2.
पर्वत से अचल , जब विचार हो जायेंगे
प्रकृति स्नेह से, जब हम भर जायेंगे
भाग्य को जब हम , कर्म प्रधान बनायेंगे
तब हम परमेश्वर को , अपने करीब पायेंगे