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27 May 2018 · 2 min read

क्रोध बनाम ब्लड प्रेशर

क्रोध बनाम ब्लड प्रेशर…..

क्रोध इंसानी फितरत है। ये सबके स्वभाव में होता है। क्रोध एक नेचुरल इमोशन है और आना भी स्वभाविक है, मगर हद से ज्यादा सेहत के लिये घातक भी होता है।क्योंकि जब यह नियंत्रण से बाहर होता है तो यह आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ आपके अपनों के साथ रिश्तों को भी नुकसान पहुंचा सकता है।गुस्सा दिल के दौरे, स्ट्रोक, ब्लड प्रेशर के खतरे को बढ़ा सकता है।क्रोध को एक विकराल समस्या माना जाता है । आधी से ज़्यादा मनुष्यता इससे पीड़ित है ।तभी आजकल छोटी छोटी बातों पर एक दूसरे को जान से मार देने की घटनाएँ भी बहुत बढ़ रही हैं। हम सभी कभी-न-कभी इसकी आग से झुलसे ज़रूर होंगे । कभी हमने अपनी क्रोध की अग्नि से अपने आप को , कभी दूसरों को जलाया अवश्य होगा।क्रोध से अधिक विनाशकारी तत्व इस संसार में और कोई नहीं है।कुछ का मानना है कि क्रोध मनुष्य का अवगुण है किंतु यदि देखा जाए तो गुस्सा स्वयं में अवगुण न होकर हमारे अवगुणों की अभिव्यक्ति है।जबतक हम मोह, लोभ, काम वासना आदि के समुद्र की गहराई नापते रहेंगें क्रोध भी हमें डुबोने के लिए उत्सुक रहेगा।क्रोधी मनुष्य से क्रोध न करने की बात समझाना ऐसा है जैसे समुद्र में डूब रहे व्यक्ति को तैराकी करने का उपदेश देना।

अंततः चूँकि क्रोध एक विकार है और प्रत्येक विकार का निदान संभव है ।जब मनुष्य में विकार भर जाते हैं उनको बाहर निकालने के लिए सक्रिय रूप एवं नियमित योग एवं ध्यान बहुत ही प्रभावी साबित हुआ है | तो प्रयास करें, हर एक स्तर पर और आप देखेंगे कि क्रोध से लड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है । क्रोध कोई दुश्मन नहीं है । दरअसल, जितना आप शांत होते जाएंगे आपको ख़ुद ही लगेगा कि क्रोध है ही नहीं । क्रोध बस एक लहर है और आप जब अपने अंदर के समंदर में उतरने लगेंगे तो आपको दिखेगा कि वह लहर मात्र सतह पर है । गहराई में, अपने केंद्र में आप हमेशा ही शांत हैं । अतः अंतर्मन में द्वेष, बैर, ईर्ष्या भाव का त्याग करें तथा शांत स्वस्थ एवं संयम में रहें।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 232 Views
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