Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Mar 2020 · 1 min read

क्रोध पर विजय

महात्मा बुद्ध का शिष्य पूर्ण उनके पास पहुंचकर हाथ जोङते हुए बोला, भगवान्, मै साधना -अध्ययन से ऊब गया हूँ । अब मै आपकी आज्ञा से सूनापरांत जनपद मे धर्म प्रचारार्थ भ्रमण करना चाहता हूँ । बुद्ध बोले वहां के लोगो का स्वभाव बहुत कठोर है ।यदि उन्होने तुम्हारे प्रति कठोर वचनो का प्रयोग किया तो, क्या करोगे ? पूर्ण ने कहा भंते, मै सोचूंगा कि इस क्षेत्र के लोग बहुत भले है, केवल कठोर वचनो का प्रयोग करते है मारते नही । बुद्ध ने कहा, अगर उनमे से किसी ने तुम्हे थप्पड़ मार दिया, तो ? भंते मै उन्हे इसलिए भला समझूंगा कि वे लाठी डण्डे के जगह केवल थप्पड़ ही मारते है । बुद्ध ने सवाल किया, अगर किसी ने थप्पड़ के जगह डण्डे से प्रहार किया, तब क्या समझोगे ? पूर्ण ने कहा, भगवन, मै समझूंगा किस्से उन्होने डंडा ही तो मारा है, दस्युओ के लिए मेरे प्राण तो नही लिए । अब बुद्ध का अंतिम प्रश्न था, पूर्ण यदि तुम्हे कोई ज्यादा क्रूर व्यक्ति मिल जाए और शस्त्र से वार कर तुम्हारे प्राण लेने की कोशिश करे, तब तुम उसके बारे मे क्या धारणा बनाओगे ? पूर्ण ने जवाब दिया तब मैं सोचूंगा कि वह व्यक्ति मुझे जीवन मुक्त कर मुझ पर एहसान कर रहा है । पूर्ण के उत्तर सुन बुद्ध समझ गए कि उसने क्रोध पर विजय प्राप्त कर ली है । वहां पूर्ण को जाने की अनुमति दे दी ।

Language: Hindi
1 Comment · 385 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
Ranjeet kumar patre
*जन्म लिया है बेटी ने तो, दुगनी खुशी मनाऍं (गीत)*
*जन्म लिया है बेटी ने तो, दुगनी खुशी मनाऍं (गीत)*
Ravi Prakash
अजीब शौक पाला हैं मैने भी लिखने का..
अजीब शौक पाला हैं मैने भी लिखने का..
शेखर सिंह
बाल कविता: मूंगफली
बाल कविता: मूंगफली
Rajesh Kumar Arjun
★
पूर्वार्थ
कौन सोचता बोलो तुम ही...
कौन सोचता बोलो तुम ही...
डॉ.सीमा अग्रवाल
वो मिलकर मौहब्बत में रंग ला रहें हैं ।
वो मिलकर मौहब्बत में रंग ला रहें हैं ।
Phool gufran
"खुद्दारी"
Dr. Kishan tandon kranti
पागल
पागल
Sushil chauhan
बता तुम ही सांवरिया मेरे,
बता तुम ही सांवरिया मेरे,
Radha jha
भाव - श्रृँखला
भाव - श्रृँखला
Shyam Sundar Subramanian
■ चिंतनीय स्थिति...
■ चिंतनीय स्थिति...
*Author प्रणय प्रभात*
कविता माँ काली का गद्यानुवाद
कविता माँ काली का गद्यानुवाद
दुष्यन्त 'बाबा'
किसी की याद आना
किसी की याद आना
श्याम सिंह बिष्ट
ऊपर बने रिश्ते
ऊपर बने रिश्ते
विजय कुमार अग्रवाल
दोस्तों के साथ धोखेबाजी करके
दोस्तों के साथ धोखेबाजी करके
ruby kumari
*सपनों का बादल*
*सपनों का बादल*
Poonam Matia
*
*"तुलसी मैया"*
Shashi kala vyas
बिटिया  घर  की  ससुराल  चली, मन  में सब संशय पाल रहे।
बिटिया घर की ससुराल चली, मन में सब संशय पाल रहे।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
गर जानना चाहते हो
गर जानना चाहते हो
SATPAL CHAUHAN
जीतना
जीतना
Shutisha Rajput
त्योहार
त्योहार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बिना मांगते ही खुदा से
बिना मांगते ही खुदा से
Shinde Poonam
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसाँ...नदियों को खाकर वो फूला नहीं समाता है
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसाँ...नदियों को खाकर वो फूला नहीं समाता है
अनिल कुमार
वादा करती हूं मै भी साथ रहने का
वादा करती हूं मै भी साथ रहने का
Ram Krishan Rastogi
Life through the window during lockdown
Life through the window during lockdown
ASHISH KUMAR SINGH
करने लगा मैं ऐसी बचत
करने लगा मैं ऐसी बचत
gurudeenverma198
कोई शिकवा है हमसे
कोई शिकवा है हमसे
कवि दीपक बवेजा
दिखाना ज़रूरी नहीं
दिखाना ज़रूरी नहीं
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
***
*** " ये दरारों पर मेरी नाव.....! " ***
VEDANTA PATEL
Loading...