क्रोध और परिणाम
कोई अपना ज़ब रूठ जाता हैँ,
हमारे गुस्से से सायद कोई बहुत ज्यादा टूट जाता हैँ //
समा.. निकल जाता हैँ उसे मनाने मे,
उसकी तन्हाइयो मे समा.. हमारा बीत जाता हैँ //
नहीं करना चाहते किसी पे गुस्सा और न दुश्मनी,
लेकिन अक्सर किसी का गुस्सा किसी और पे फूट जाता हैँ //