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24 Sep 2016 · 1 min read

क्यूँ हम वीरों की शहादत भूल जाते हैं?

ग़ज़ल (23.09.2016)

हर बार उसकी नापाक, आदत भूल जाते है
क्यूँ हम अपने वीरों की,शहादत भूल जाते हैं?

घड़ी बस दो घड़ी कुर्बानियों को याद करते है
ज़िन्दा सैनिकों की, क्यों इबादत भूल जाते हैं?

अगर हम भूल जाएँगे करगिल फिर वो लाएँगे
वो आफ़त के पुड़िया,हम आफ़त भूल जाते है।

अक्सर भूल जाते है,क्यूँ कमजोर है याददास्त?
उनके साजिशों के,क्यूँ अदावत भूल जाते है??

कहीं मैंने नहीं देखा, कहीं क्या आपने देखा?
अपनी शान हाथी को, महावत भूल जाते है??

वो रोटी-दाल में परेशां, हम शौक़ में busy
हम में और भी जो है, महारत भूल जाते हैं।

©आनंद बिहारी, चंडीगढ़
https://m.facebook.com/anandbiharilive

10 Comments · 1124 Views
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