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15 Oct 2020 · 1 min read

क्यूँ मेरे हमसफ़र नहीं आते

ज़िद है कैसी इधर नहीं आते
क्यूँ मेरे हमसफ़र नहीं आते

क्या करें उस जगह ठहरकर हम
जिस जगह वो नज़र नहीं आते

उनके वादे पे क्या भरोसा हो
बोल जाते हैं पर नहीं आते

रोज़ मिलते थे बात होती थी
अब वो शामो-सहर नहीं आते

बस मुक़द्दर से ये शिकायत है
ग़म कभी मुख़्तसर नहीं आते

अब दुआ की हमें ज़रूरत है
अब दवा के असर नहीं आते

उनको ‘भूला’ जहान कहता जो
लौटकर शाम घर नहीं आते

हर जगह बन गये मकां ही मकां
अब नज़र में शजर नहीं आते

उनसे ‘आनन्द’ गर मुहब्बत है
उनसे क्यों बोलकर नहीं आते

– डॉ आनन्द किशोर

2 Likes · 1 Comment · 174 Views
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