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23 Jul 2020 · 2 min read

क्या यही प्यार है?

एक लड़का था मासूम बहुत
इश्क़ मोहब्बत प्यार से दूर
होठों पर थिरकती हुई हसीं
और वही अजीब सा ग़ुरूर
मगर जीनी तो उसे भी थी जिंदगी
भा गई उसे भी परी जैसी लड़की
मुस्कुराना दूर हुआ
और धड़कन भी रुकने लगी दिल की
हर पल हर घड़ी
ख़्वाब में आँसू बहने लगे
वो दोस्त जो कभी अपने थे
उसे पागल कहने लगे
ये तो शुरुआत थी कहानी की
हकीकत में लड़की भी दीवानी थी
ये मंजर यहाँ नहीं था
दोनों तरफ यही सुनामी थी
लड़की कब तक छुपाती ये बात
पता चला तो बंद कर दी गई दीवार
लड़का तो अन्जान ही था
इंतजार था अब भी उसका
कोई मतलब नहीं जिस्म का
बस प्यार था उसका
नहीं पता कहां है जिंदगी उसकी
मगर जिए जा रहा था
एक झलक तो मिलेगी कभी
वक्त गुजरता गया
हमें लगा जख्म भर सा गया
मगर ये मोहब्बत कुछ अजीब थी
जख्म दिन-ब-दिन गहरा होता गया
कैसे सह पाता इतना दर्द अपने दिल में
वह भी चल बसा अपनी मंजिल में
मगर लड़की को कोई भी
इल्जाम नहीं दिया उसने
बस गुजरने वाली हवाओं को
खुश रहने का पैगाम दिया उसने
यही तो दिल्लगी थी
मरने के बाद उनकी रूह फिर मिली थी
ज़ब लडके ने दस्तक दी
स्वर्ग के द्वार पर
लड़की नजरें टिकाए हुए थी
सिर्फ उसी के दीदार पर
सच कहा है –
वो इंसान नहीं भगवान होते हैं
जो मोहब्बत पे कुर्बान होते हैं
हम तो भुला देते हैं उनकी कहानियाँ
मगर गुजरे ज़माने उन्हें आवाज़ देते हैं
….भंडारी लोकेश ✍️

6 Likes · 9 Comments · 594 Views
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