Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Mar 2020 · 1 min read

क्या बात है आखिर

क्यों ऐसे दिन हैं उजड़े से , क्यों रूठी रात है आखिर
है खोया मन ये क्यों मेरा , कहो क्या बात है आखिर

क्यों ये बहारें भी नजर को रास न आएं
क्यों सूकूं के पल दिल के पास न आएं
क्यों बुझा सा दिल ये मेरा आज है जाने
ये ही है मेरा अंजाम या आगाज है जाने

समझ में आए न कुछ भी , ये क्या हालात है आखिर
है खोया मन ये क्यों मेरा , कहो क्या बात है आखिर

अंतर्मन न जाने क्यों हुआ ये मौन है मेरा
अगर तुमसे न पूछूं तो कहो कि कौन है मेरा
मेरे अपनों में कोई अब तलक न ऊंचा है तुमसे
यही बस सोचकर ये बात मैंने पूछा है तुमसे

हुई दिल की जमीं पर गम की क्यों बरसात है आखिर
है खोया मन ये क्यों मेरा , कहो क्या बात है आखिर

कभी भी अपने इस दिल की हिफाजत की नहीं मैंने
हुए हालात जो कुछ भी, शिकायत की नहीं मैंने
कभी भी भाव धीरज का , किया ना दूर था मैंने
हंसके खुशियों और गम को किया मंजूर था मैंने

मगर इस बार जाने खा गया क्यों मात है आखिर
है खोया मन ये क्यों मेरा , कहो क्या बात है आखिर

विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली

Language: Hindi
Tag: गीत
4 Comments · 263 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को उनकी पुण्यतिथि पर शत शत नमन्।
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को उनकी पुण्यतिथि पर शत शत नमन्।
Anand Kumar
हजार आंधियां आये
हजार आंधियां आये
shabina. Naaz
बेरोजगार
बेरोजगार
Harminder Kaur
चाहता हे उसे सारा जहान
चाहता हे उसे सारा जहान
Swami Ganganiya
Ajj bade din bad apse bat hui
Ajj bade din bad apse bat hui
Sakshi Tripathi
कभी-कभी नींद बेवजह ही गायब होती है और हम वजह तलाश रहे होते ह
कभी-कभी नींद बेवजह ही गायब होती है और हम वजह तलाश रहे होते ह
पूर्वार्थ
আমি তোমাকে ভালোবাসি
আমি তোমাকে ভালোবাসি
Otteri Selvakumar
बादल (बाल कविता)
बादल (बाल कविता)
Ravi Prakash
मीठी-मीठी माँ / (नवगीत)
मीठी-मीठी माँ / (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
रेत घड़ी / मुसाफ़िर बैठा
रेत घड़ी / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
रमेशराज के 7 मुक्तक
रमेशराज के 7 मुक्तक
कवि रमेशराज
■ नेशनल ओलंपियाड
■ नेशनल ओलंपियाड
*Author प्रणय प्रभात*
होली
होली
Kanchan Khanna
कर्म से विश्वाश जन्म लेता है,
कर्म से विश्वाश जन्म लेता है,
Sanjay ' शून्य'
तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
Keshav kishor Kumar
संवेदनाएं
संवेदनाएं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कठिन समय रहता नहीं
कठिन समय रहता नहीं
Atul "Krishn"
तुम अपना भी  जरा ढंग देखो
तुम अपना भी जरा ढंग देखो
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्‍छा है,
शेखर सिंह
सदा सदाबहार हिंदी
सदा सदाबहार हिंदी
goutam shaw
संत गाडगे सिध्दांत
संत गाडगे सिध्दांत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
तेरा हासिल
तेरा हासिल
Dr fauzia Naseem shad
मौन अधर होंगे
मौन अधर होंगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
खुद्दारी ( लघुकथा)
खुद्दारी ( लघुकथा)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
VINOD CHAUHAN
बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे रामजी
बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे रामजी
gurudeenverma198
💐अज्ञात के प्रति-87💐
💐अज्ञात के प्रति-87💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
2815. *पूर्णिका*
2815. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हालात ए शोख निगाहों से जब बदलती है ।
हालात ए शोख निगाहों से जब बदलती है ।
Phool gufran
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...