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12 Aug 2018 · 1 min read

* क्या जज़्बात लिखूं *

लिखना चाहूं दिल की बात क्या जज़्बात लिखूं
लोग समझते नहीं मुझको..क्या जज़्बात लिखूं
बात बात पे अपनी जो, कभी टिकते ही नहीं है
बिकते हैं जो टकों में उनके क्या जज़्बात लिखूं।।
****
करते हैं बडी-बडी बातें , क्या उनके राज़ लिखूं
क्या आज लिखूं उनका — क्या भूतकाल लिखूं
कैसे लिखूं भविष्यकाल, समझते नहैं है लोग
बनाते हैं भविष्य अपना उनका भूतकाल लिखूं।।
******
आया है मौसम-बरसात मैं अब क्या बात लिखूं
बोलूं कोयल-सा– सुमधुर-दादुर-बकवाद लिखूं
दादुर-बहुल जहां में , कौन कोयल की बात सुने
सुन-सुन हुए उनअनसुनों की मैं क्या बात लिखूं।।
****
मेरे हैं, ये जज़्बात, कोई हाट या बाज़ार नहीं हैं
खरीदे मेरे जज़्बात ऐसी कोई टकसाल नहीं है
बिकता दिखता इमां-इंसान दरों-दुनियां में यहां
चिल्लाओ मुझपे बे-शक़ मेरा खेरख़्वार नहीं है ।।
****
मधुप बैरागी

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 303 Views
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