क्या ग्वाला आएगा…..?
….. क्या ग्वाला आएगा ??
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आते हो तो चले क्यूं जातें हो ?
लूट रही है लाज रोज अबलाओ की।
या बस द्रौपदी के चीर हरण तक ही आये थे ?
या डर गये हो बहशी – बलात्कारियों से ?
आज हर बेटी-मां-बहन-बहूं और पूछ रहा है
पीड़ित परिवार ….. क्या फिर आओगे लाज बचाने
या चले जाओगे ……खाकर मक्खन ,मलाई।
कैसे यकीन करें कि….. तुम रक्षक हो, ईश्वर हो, अवतार हो ……?
……. क्योंकि अब यहां अबोध बच्चीयो से लेकर वृद्ध महिलाओं तक कोई सुरक्षित नहीं है……..कब लेकर आओगे अपना सुदर्शन चक्र ……संहार करने इन पापियों का…. बलात्कारियों का।
……मेरा विश्वास अब टूटता जा रहा है
आस्था का धागा छूटता जा रहा है
मुझे अब सब लगने लगा है ढोंग…कोरी कल्पना और मनगढ़ंत कहानी…. यदि आप सच है ….तो आओ आपका स्वागत है….
क्योंकि डरी हुई है हर एक घर की चौखट और घर वाले।
तुझे आना है तो आजा मेरे ग्वाले।
मेरा विश्वास अब तक है तेरे हवाले।।
वर्ना छोड़ देंगे लोग तेरी भक्ति
सोचकर एक कोरी कल्पना।
समझकर कोई छलने वाला सपना।।
क्योंकि….. तुझे माना था सभी ने अपना।
है तो आ।।
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जनकवि/बेखौफ शायर
डॉ. नरेश “सागर”
हापुड़, उत्तर प्रदेश
9149087291