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8 Apr 2021 · 1 min read

क्या खता है हमारी बता दीजिए

ग़ज़ल
काफ़िया- आ
रदीफ़-दीजिये
212 212 212 212

क्या खता है हमारी बता दीजिये।
नफ़रतें आज दिल से मिटा दीजिये।

छोड़कर के गिला और शिकवा सनम
देखकर तुम हमें मुस्करा दीजिये।

है अँधेरा ही जीवन में चारों तरफ
प्रेम का दीप दिल में जला दीजिये।

होश भी ना रहे आज हमको सनम
जाम नज़रों से ऐसा पिला दीजिये।

बिन तुम्हारे नही जी सकेंगे सनम
हमको’ ऐसी न कोई सजा दीजिये।

झूठ की तोहमतें न लगाओ सनम
ग़र भुलाना ही’ है तो भुला दीजिये।

पथ भटक है गया आज “अभिनव” यहाँ
किस तरफ जाउँ मैं ये बता दीजिये।

अभिनव मिश्र अदम्य

1 Comment · 283 Views
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