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4 Apr 2017 · 1 min read

!! क्या करून तुझ से गिला शिकवा !!

क्या करून, तुझ से मैं
गिला शिकवा , ओ जिन्दगी
तूने बहुत संवारने की कोशिश
की थी मुझ को,
पर मैं ही न संभल सका
और उलझता गया
न जाने किन अधेरे
रास्तों में , कहीं खोता
सा चला गया , न जाने
किन अंधेरों में
कोशिश भी बहुत की
थी कि यह रस्ता
न दिखाई दि मुझ को
पर न जाने कों सी
चीज थी , जो मुझ को
खींचती ही ले गयी
अनजान राहों में
नहीं कर सकता हूँ
विरोध तेरा में कहीं भी
तूने तो गिरते हुए
कई बार संभाला है मुझ को
बस, मैं ही न संभल
पाया और गिरता रहा
और गिरता रहा

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
501 Views
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