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3 Aug 2016 · 1 min read

कौन अपने- कौन गैर

दिल में याद बना लेते है
गैर भी…
अपने भी…
कुछ चुभते है
कुछ यादगार बन जाते है
अपने भी-गैर भी
पहचान न पाये अपनों को भी
गैरो को भी
अपनों में गैर मिले,
गैरो में कमाल के अपने मिले
दोनों के अर्थ के मायने बदल दिये
अपनों के
गैरो के
अपनों को अपना कहे या गैरो को अपना
अब तो अपना भी लगता खुली आँखों का
सपना….

^^^^दिनेश शर्मा^^^^

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 459 Views
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