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21 Mar 2020 · 1 min read

कोरोना

विधा श्रृंगार छंद

विकट है कोरोना का ज्वार|
मचा है जग में हाहाकार||

सभी के संकट में है प्राण|
नहीं मिलता है इससे त्राण|
वाइरस का ऐसा संचार|
मचा है जग में हाहाकार||

लगा कर मास्क निकलते लोग|
भयंकर कितना है यह रोग|
हुए हैं इससे सब लाचार|
मचा है जग में हाहाकार||

सभी अच्छे से धोना हाथ|
रखें धीरज को अपने साथ|
करें सब कोई शाकाहार|
मचा है जग में हाहाकार||

जोड़कर करना हाथ प्रणाम|
मिटे तब कोरोना का नाम|
खत्म हो कोरोना का वार|
मचा है जग में हाहाकार||
-लक्ष्मी सिंह
-नई दिल्ली

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