कोरोना
कोरोना मचाया हाहाकार चारोंओर,
ऐसी त्रासदी मानव हुआ कमजोर।
कब्रिस्तान, श्मसान भर गये लाशों से,
आदमी बेजान खाली है एहसासों से।
अस्पतालों में बिस्तर कम हो गया,
जीवनदायी गैस सिलेंडर कम हो गया।
चीखें आसमान में सुराख कर रहीं हैं
जमीन का सीना छलनी कर रही हैं
मरीज कैसे बीमारी से जूझ रहा है
परिजन को ना कुछ भी सूझ रहा है।
दम निकल रहा सड़क पर एड़ी रगड़कर,
अपने बिलक रहे हैं दहाड़े मारकर।
किसकी सांसें कब साथ छोड़ दें,
ये मुसीबत किधर रुख मोड़ दे।
मन्दिर- मस्जिद कहां काम आ रहा है,
अस्पताल-अस्पताल ही नाम आ रहा है।
पर्यावरण को अब से भी बचाना होगा,
इस धरती को पेड़ों से सजाना होगा।
रहम कर रहमान सुन ले मेरी पुकार,
उठा ले कोरोना बचा ले अब से संसार।
नूर फातिमा खातून नूरी शिक्षिका
जिला-कुशीनगर