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8 May 2021 · 1 min read

कोरोना में पत्नि की पीड़ा

एक नारी की मन की वेदना जिसका पति बाहर गया हुआ है और लॉक डाउन के कारण अपने घर नहीं आ सकता।
******************************
कोरोना डरा रहा है मुझको,
कोरोना सता रहा है मुझको।
जल्द आ जाओ अब साजन,
गले लगा लो अब तुम मुझको।।

हाहाकार मचाया है अब इसने,
कितने घर उजड़े है अब इसने।
बचकर रहना है अब तुम इससे,
सबको डस लिया है अब इसने।।

हॉस्पिटलो में अब जगह नहीं है
श्मशानों में अब जगह नहीं है।
लंबी कतारें लगी सब जगह है,
कोई किसी की पूछता नहीं है।।

तड़फ रही हूं अब मै
बिलख रही हूं अब मै।
चैन आए न अब दिल मे
जब तक मिल लू न मै।।

सुनसान हर जगह है,
कोरोना हर जगह है।
बताओ अब जाऊं कहां मै,
करे है ये पीछा हर जगह है।

कमरे में मै बन्द पड़ी हूं,
जी जान से इससे लडी हूं।
कर रही हूं तुम्हारी प्रतीक्षा,
घर के दरवाजे पर मै खड़ी हूं।।

कोरोना कर रहा खाऊ खाऊं,
किसको छोड़ू किसको खाऊं।
उसके मन में अब क्या बसा है
यही सोचकर मै डर डर जाऊं।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
4 Likes · 4 Comments · 350 Views
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