Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Dec 2020 · 2 min read

कोरोना-मास्क और पहनने का जज्बा!!

मास्क को मास्क रहने दो, इसका हार ना बनाईए,
हां दूरियां नहीं सदा अच्छी, किंतु थोड़ी सी तो अपनाईए,
सरकारी भरोसे रहना नहीं भाई, सरकारी व्यवस्थाएं हैं चरमराई,
एक अनार और सौ बीमार, यह किस्सा तो सुना है न भाई,
तभी तो बार बार कह रहे हैं,कम निकला करो घर से बाहर भाई,
अपनों पर इतना तो करम कर लो, मास्क को तुम पहन लो भाई
बिना मास्क के पहनने से हो रही है रुसवाई,
मास्क को मास्क समझ कर पहनो, इसे लटकाते क्यों हो भाई,
मास्क को मास्क रहने दो, इसे हार ना बनाओ भाई!!

ये बड़ी बे रहम है बिमारी, जो बन गई है अब महामारी,
मरने पर हो नहीं रही नसीब, अपनों की भी कंधाई,
बड़े बेआबरु होकर की जा रही ,जनाजे की फिंकवाई,
दवाओं का अभी तक तो, ट्रायल ही चल रहा है,
ट्रायल की सफलता पर ही, निर्भर है बननी इसकी दवाई भी,
इसी लिए तो कहा जा रहा है हाथों को जोड़कर के भी,
चला करो जब भी घर से अपने, पहना करो मास्क को भी,
मास्क को मास्क मान कर पहनो,ना लटकाओ बना कर हार,
थोड़ी सी तो निभालें हम भी, अपनी जिम्मेदारियों को यार,
मास्क को मास्क रहने दो, मास्क का हार ना बनाइए!!

जो हाथ तुमने मिलाया है,तो धोने की भी करो कोशिश,
ये जीवन है अनमोल बहुत,अपने और अपनो के लिए करो महसूस,
इसका यूं माखौल ना उडावो,मास्क को मास्क की तरह पहनो,
मास्क को मास्क रहने दो मास्क का हार ना बनाओ!!

हमारी सलामती में ही हमारा परिवार सुरक्षित है,
जो हम हैं सुरक्षित तो,परिवार भी सुरक्षित है,
हम यदि सुरक्षित हैंतो,हमारा आस पढोस सुरक्षित है,
पास पढोस सुरक्षित है तो,पूरा समाज सुरक्षित है,
किसी की भी असावधानी से यह वायरस फैलने ना पाए,
मान लीजिए बात भाईयों, मास्क पहन कर भी दिखलाइए,
मास्क पहनने से इतना भी अब ना शरमाईए,
मास्क को मास्क रहने दो,मास्क का हार ना बनाइए!!

Language: Hindi
1 Like · 5 Comments · 229 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
शीर्षक:जय जय महाकाल
शीर्षक:जय जय महाकाल
Dr Manju Saini
କେବଳ ଗୋଟିଏ
କେବଳ ଗୋଟିଏ
Otteri Selvakumar
मां सिद्धिदात्री
मां सिद्धिदात्री
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
वक्त-ए-रूखसती पे उसने पीछे मुड़ के देखा था
वक्त-ए-रूखसती पे उसने पीछे मुड़ के देखा था
Shweta Soni
नारी शिक्षा से कांपता धर्म
नारी शिक्षा से कांपता धर्म
Shekhar Chandra Mitra
मैं नहीं हो सका, आपका आदतन
मैं नहीं हो सका, आपका आदतन
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पेट्रोल लोन के साथ मुफ्त कार का ऑफर (व्यंग्य कहानी)
पेट्रोल लोन के साथ मुफ्त कार का ऑफर (व्यंग्य कहानी)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बेचारा जमीर ( रूह की मौत )
बेचारा जमीर ( रूह की मौत )
ओनिका सेतिया 'अनु '
वह बरगद की छाया न जाने कहाॅ॑ खो गई
वह बरगद की छाया न जाने कहाॅ॑ खो गई
VINOD CHAUHAN
"सुपारी"
Dr. Kishan tandon kranti
श्री कृष्णा
श्री कृष्णा
Surinder blackpen
गुनहगार तू भी है...
गुनहगार तू भी है...
मनोज कर्ण
कल की फिक्र में
कल की फिक्र में
shabina. Naaz
from under tony's bed - I think she must be traveling
from under tony's bed - I think she must be traveling
Desert fellow Rakesh
భారత దేశ వీరుల్లారా
భారత దేశ వీరుల్లారా
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
Kash hum marj ki dava ban sakte,
Kash hum marj ki dava ban sakte,
Sakshi Tripathi
किसी की परख
किसी की परख
*Author प्रणय प्रभात*
बूढ़ा बरगद का पेड़ बोला (मार्मिक कविता)
बूढ़ा बरगद का पेड़ बोला (मार्मिक कविता)
Dr. Kishan Karigar
* संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 6 अप्रैल
* संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 6 अप्रैल
Ravi Prakash
2337.पूर्णिका
2337.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
शहर - दीपक नीलपदम्
शहर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मां
मां
Manu Vashistha
वो दिल लगाकर मौहब्बत में अकेला छोड़ गये ।
वो दिल लगाकर मौहब्बत में अकेला छोड़ गये ।
Phool gufran
गुलदस्ता नहीं
गुलदस्ता नहीं
Mahendra Narayan
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ऋतु गर्मी की आ गई,
ऋतु गर्मी की आ गई,
Vedha Singh
रंजीत शुक्ल
रंजीत शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
कितना रोके मगर मुश्किल से निकल जाती है
कितना रोके मगर मुश्किल से निकल जाती है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
पतझड़
पतझड़
ओसमणी साहू 'ओश'
Loading...