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15 Oct 2020 · 4 min read

*”कोरोना काल के अनुभव”*

संस्मरण
“कोरोना काल के अनुभव”
कोरोना वायरस वैश्विक विषाणु के कारण पूरा विश्व परेशान हो गया है। जनमानस को सुरक्षित रखने के लिए संपूर्ण तालाबंदी की घोषणा की गई थी ताकि सभी परिवार सहित घर पर ही सुरक्षित रहें।
अप्रत्यक्ष रूप से अदृश्य सूक्ष्म विषाणु न जाने कैसे शरीर में प्रवेश कर जाता है और व्यक्ति को संक्रमित करके कमजोर व निसहाय बना देता है।
कोरोना काल में अनुभव तो बहुत मिले हैं जिसमें हमें हानि भी हुई है और लाभ भी मिला है।कुदरत ने अपना कहर धरती पर बरपाया है।
मौसम परिवर्तन होने से बीमारियां होने लगती है कभी ठंडा कभी गर्म समझ में नही आता है।
ये आम बात है लेकिन इस कोरोना काल में सर्दी जुकाम हो तो सर्तक सावधानी बरतना जरूरी है।
मुझे हल्का सा बुखार हाथ पैरों में दर्द अकड़न सा महसूस हो रहा था।
मैने सोचा कि डॉक्टर से परामर्श लेकर ही दवाई ली जाय तो अच्छा रहेगा।
डॉक्टर को दिखाया तो उनके मशीन में बुखार पकड़ में आ गया और उन्होंने मेरा कोरोना परीक्षण कर दिया गया ।
तीसरे दिन सूचना दी गई कि आपको कोरोना पॉजिटिव पाया गया है भर्ती हो जाइए।
कुछ समय तक तो यकीन ही नही हुआ ये कैसे ….? क्या ….? किससे कब संक्रमित हो गया।मुझे तो सिर्फ मामूली सा बुखार था ये कोरोना कैसे हो गया है उन्होंने कोई रिपोर्ट भी नही दी थी। सिर्फ सूचना मिलते ही सारे लोगों को सूचित कर दिया गया था उस दिन न जाने कहाँ कहाँ से फोन आने लगे थे परेशान कर दिया था कलेक्टर ,पुलिस थाना न जाने कितने फोन आये आनन फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
घर से अस्पताल जाते समय सासु माँ को दूर से चरण स्पर्श किया प्रणाम किया आशीर्वाद देते हुए कहा – “हिम्मत रखना बेटा ईश्चर का नाम जप करना ईश्वर के अलावा कोई नहीं है तुम तो इतना पूजा पाठ करती हो कुछ नही होगा जल्दी स्वस्थ होकर घर वापस आवोगी हनुमान जी तुम्हारी रक्षा करेंगे”
ऐसा कहकर घर से विदा ली सब उदास हो गए थे मेरा भी मन विचलित हो गया था। मोहल्ले वालों को जब बाद में पता चला तो कोई भी यकीन नहीं कर रहा था।

अस्पताल में भर्ती होना पड़ा वहाँ भी कुछ परीक्षण लिए गए थे लेकिन सब सामान्य ही आया कुछ दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा।
घर आकर 7 दिनों तक कोरिन्टेन होना पड़ा ताकि परिवार में अन्य लोग संक्रमित न हो ..
अस्पताल में मरीज के अलावा कोई सदस्य देखने मिलने नही आ सकता था सिर्फ जरूरी सामान लेकर घर से जाना था।
अस्पताल के उन 9 दिनों की मीठी यादें जो मुझे आत्मसात करने का मौका दिया था और मुझे खुद को पहचानने व अपनी कुछ गलतियों को सुधारने के लिए ईश्वर ने अच्छे कर्म करने के लिए भेज दिया हो ….यही सोचकर उन मरीजों के साथ में रही सामान्य दिन गुजारे ….
अस्पताल में चौथे मंजिल पर बड़ी खिड़कियों से प्रकृति का अदभुत नजारा देखने को मिलता था।वहां से कलियासोत डेम का पानी का बहाव देखकर मन अच्छा लगता था।
खिड़कियों में रोज पँछी उड़ते हुए कबूतर भी आकर बैठते थे।
कभी घर की याद सताती कभी चिंता होने लगती पता नही ये सब कैसे हो गया मेरे साथ ही क्यों हुआ मैं तो घर से बाहर भी नही निकलती थी। शायद कुछ ग्रह दोष आड़े आ गए हो ….
अस्पताल में चाय ,नाश्ता ,काढ़ा ,दोनों समय खाना ,रात में दवाई हल्दी वाला दूध सभी सुविधाएं उपलब्ध थी साफ सफाई का भी ध्यान रखा जाता था।
जिस कमरे में मुझे रखा गया था वहाँ 5 मरीज थे जो एक दूसरे के सहयोगी भी थे।एक भैया रामायण मंडली से जुड़े हुए थे मंगलवार को सभी मरीज अपने मोबाईल फोन लगे थे भजन कीर्तन सुनते रहते थे।
उस कमरे में सकारात्मक ऊर्जा का वास हो गया नर्स भी आती तो कहती इस कमरे में मरीजों को देखना अच्छा लगता है। एक दीदी जी मुझे हर रोज अष्टावक्र गीता पढ़ते हुए रिकार्डिंग करके भेजती उसे सुनती थी ताकि मन ईश्वर में लीन रहे इधर उधर ध्यान भटकने न पाए। जब मन एकाग्रचित्त हो तो समय जल्दी कट जाता है।
यूँ ही 9 दिन भक्ति आराधना में बीत गए थे पता ही नही चला।
डॉक्टर ने भी सीख दी उन्होंने कहा कि “जीवन में कभी उदास नही होना चाहिए जो भी ईश्वर हमारे लिए मार्ग चुन रखा है वो सही दिशा निर्देश करने के लिए ही प्रेरित किया है।
ये सुख दुःख कुछ नही है सिर्फ अपने मन को एकाग्रचित्त होकर केंद्रित करें।
शरीर के लिए कुछ देर ध्यान करें योग अभ्यास करें शुद्ध हवाओं में टहल संगीत सुनो ,
समय पर सभी कार्य करें ।
खाने में पौष्टिक आहार लें समय से नाश्ता भोजन कर रात में जल्दी सोये 8 घण्टे की भरपूर नींद लें सुबह जल्दी उठने का प्रयास करें।
ये सारी हिदायतें दी गई उनकी बातों से मन में नई ऊर्जा का संचार हो गया था। जीवन में आत्म विश्वास जागृत हो गया।
कोरोना काल मे वैसे तो बहुत ही खट्टी मीठी यादों का पिटारा है इन कठिन परिस्थितियों में सभी संघर्षो से जूझते हुए संकट के इस दौरान अपने जीवन को सुरक्षित व खुशहाल बनाये हुए हैं।
मुझे इन 15 दिनों में जीवन की अच्छी सीख दे गया है वैसे तो जीवन में समभाव जरूरी होता है कुछ खट्टी मीठी यादें कभी सुखद अनुभव कभी कड़वी सच्चाई सामने आती ही रहती है लेकिन इन सभी परिस्थितियों में हमें अपना दृढ़ विश्वास इच्छा शक्ति नही खोना चाहिये।
उन खुशियों के पलों को समेटे हुए कोरोना काल की सुनहरी मीठी यादों को हॄदय में सहेजकर रख लिया है।
ईश्वर पर आस्था विश्वास भी बेहद जरूरी है
इस कोरोना काल की विकट परिस्थितियों में समस्याओं का सामना करना पड़ा लेकिन हिम्मत रखने से सब ठीक हो जाता है। लोगों की दुआयें भी काम करती है।
शशिकला व्यास

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 403 Views
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