Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Mar 2020 · 1 min read

“कोरोनावायरस को दूर भगाना”

थोड़े दिन घर से मत निकलो बाहर सभी
अपनी देखभाल के साथ घरवालों का खयाल रखो
जिंदगी की आपाधापी में रिश्तों की डोर प्रेम से कसकर अपनों-संग बैठो बतिया लो
मिला वक्त कुछ देर मुट्ठी में कर लो बंद
फिसल न जाए कहीं रेत सा
गृहस्थी की नैय्या प्रेम से चलाने का वक्त मिला है
संडे वाले पापा को अब पूरा दिन मिला बच्चों के संग खेलने का ना गँवाना इसे किसी भी हाल
बुज़ुर्गों से उनकी आँखों में कैद अनुभवरूपी अनगिनत कहानियाँ सुन लो
सच्ची बहुत-कुछ पाने का वक़्त मिला है गँवाना-मत इसे
कोरोनावायरस अपने हाथों से ही दूर-भगाना

Language: Hindi
2 Likes · 344 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Aarti Ayachit
View all
You may also like:
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
Kuldeep mishra (KD)
हमें लगा  कि वो, गए-गुजरे निकले
हमें लगा कि वो, गए-गुजरे निकले
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
रिश्तों में वक्त नहीं है
रिश्तों में वक्त नहीं है
पूर्वार्थ
गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही / निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान है
गरीबों की झोपड़ी बेमोल अब भी बिक रही / निर्धनों की झोपड़ी में सुप्त हिंदुस्तान है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ये आज़ादी होती है क्या
ये आज़ादी होती है क्या
Paras Nath Jha
तेरी यादों में लिखी कविताएं, सायरियां कितनी
तेरी यादों में लिखी कविताएं, सायरियां कितनी
Amit Pandey
*दलबदलू माहौल है, दलबदलू यह दौर (कुंडलिया)*
*दलबदलू माहौल है, दलबदलू यह दौर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कुछ
कुछ
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
अपने मन के भाव में।
अपने मन के भाव में।
Vedha Singh
मजदूर
मजदूर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
महंगाई के आग
महंगाई के आग
Shekhar Chandra Mitra
उज्जैन घटना
उज्जैन घटना
Rahul Singh
आत्मा शरीर और मन
आत्मा शरीर और मन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
शमशान और मैं l
शमशान और मैं l
सेजल गोस्वामी
Sannato me shor bhar de
Sannato me shor bhar de
Sakshi Tripathi
ढोंगी बाबा
ढोंगी बाबा
Kanchan Khanna
चेहरे के पीछे चेहरा और उस चेहरे पर भी नकाब है।
चेहरे के पीछे चेहरा और उस चेहरे पर भी नकाब है।
सिद्धार्थ गोरखपुरी
2388.पूर्णिका
2388.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
■ लघुकथा...
■ लघुकथा...
*Author प्रणय प्रभात*
वाणी से उबल रहा पाणि
वाणी से उबल रहा पाणि
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
महिला दिवस विशेष दोहे
महिला दिवस विशेष दोहे
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
कौन?
कौन?
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
" तितलियांँ"
Yogendra Chaturwedi
वो मिलकर मौहब्बत में रंग ला रहें हैं ।
वो मिलकर मौहब्बत में रंग ला रहें हैं ।
Phool gufran
प्रतिश्रुति
प्रतिश्रुति
DR ARUN KUMAR SHASTRI
माँ सिर्फ़ वात्सल्य नहीं
माँ सिर्फ़ वात्सल्य नहीं
Anand Kumar
💐अज्ञात के प्रति-57💐
💐अज्ञात के प्रति-57💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कैसे करूँ मैं तुमसे प्यार
कैसे करूँ मैं तुमसे प्यार
gurudeenverma198
कली को खिलने दो
कली को खिलने दो
Ghanshyam Poddar
खुद को संभालो यारो
खुद को संभालो यारो
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Loading...