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9 Jan 2021 · 1 min read

कोरे कागज पर आज रिदय के….

कोरे कागज़ पर आज रिदय के….

कोरे कागज़ पर आज रिदय के
दिल की अपने हर बात लिख दूँ

देख तुम्हें सद्य जो जन्मे मन में
वे अरमां अबोध नवजात लिख दूँ

हुआ जिस घड़ी परिचय तुमसे
तारों जड़ी हसीं वो रात लिख दूँ

लिख दूँ तुम्हें विभा शशधर की
मैं चकोरी साँवल गात लिख दूँ

लिखूँ खुद को जन्मों की प्यासी
तुमको रिमझिम बरसात लिख दूँ

रह-रह जो उमड़ते आते मन में
वे कोमल सभी जज्बात लिख दूँ

चाँद पूनम का लिखूँ तुम्हें ‘गर
खुद को रुपहली रात लिख दूँ

लिख दूँ तुम्हें चितचोर कन्हैया
खुद को ग्वालन अज्ञात लिख दूँ

तुम पूर्ण शशांक दीप्त गगन में
मैं किरण लघु अवदात लिख दूँ

लिखूँ तुम्हें दिनकर की लाली
खुद को प्रफुल्ल जलजात लिख दूँ

कितने जन्मों के तप से पायी
तुम्हें अनूठी इक सौगात लिख दूँ

लघु लेखनी से आज मैं अपनी
तुम्हें सकल भुवन में व्याप्त लिख दूँ

– डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)

1 Like · 6 Comments · 286 Views
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