कोयला होता कभी हीरा नहीं
सर घमण्डी का रहे ऊँचा नहीं
कोयला होता कभी हीरा नहीं
खूब जी लो वक़्त का हर पल यहाँ
लौट कर आता गया लम्हा नहीं
पाप पुण्यों का अलग खाता बने
इसमें होता है कभी साझा नहीं
तोड़ देता आदमी को टूट कर
पर बिखरता खुद कभी वादा नहीं
मांग लेना दिल के बदले में ही दिल
प्यार कहते हैं इसे सौदा नहीं
फासला भी स्वप्न मंज़िल में बड़ा
रास्ता भी तो मिले सीधा नहीं
अर्चना कटती नहीं ये ज़िन्दगी
अपनों का मिलता अगर शाना नहीं
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद(उप्र )