कोमल पंख लिए
तेरी मुस्कान पर लाखों दीवाने,,,
फ़िदा होंगे।
तुझे पाने को जाने कितने कतार में
खड़े होंगे।
तेरे गुलाबी होंठो से मधुर रस,,
टपक रहा है।
जाने कितने भवरें मधुर रस,,
पान को ललचते होंगें।
रंग बिरंगे अनगिनत पुष्पों के बीच,,
तूम प्यारी तितली बन मँडरा रही,,
जाने कितने किट पतंगे तुझे देख
छूने को तरसते होंगे ।
कोमल पंख लिए तुम गुलशन ए बहार में
निकली हो भ्रमण को,,,
जाने कौन कौन से फूल बगियाँ के,,
तुम्हे महकाते होंगे।
झील सी आँखों की चमक को देख तेरी,,
जाने कितने लोग समंदर की गहराई को
नापते होंगे।
गायत्री सोनु जैन