Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jul 2016 · 1 min read

कोई जादू लगे है ख़यालात भी

खूब होती शरारत मेरे साथ भी
सब्र को अब मिले कोई सौगात भी

रंजिशे और नफरत भुला कर सभी
हो कभी दिल से दिल की मुलाक़ात भी

है बला की कशिश और लज़्ज़त जुदा
कोई जादू लगे है ख़यालात भी

फ़ासले अब मिटें, बंदिशें सब हटें
प्यार की छांव में बीते दिन-रात भी

है लबों पे दुआ गर सुनो तुम सदा
हो अयाँ आंखों से दिल के जज़्बात भी

चाहतों से महकता रहे सहने दिल
हम पे रहमत करे अब ये बरसात भी

दूर रख इन ग़मों को चलो कुछ हँसे
वक़्त के साथ बदलेंगे हालात भी

अयाँ: जाहिर, सहन: आँगन

© हिमकर श्याम

8 Comments · 338 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
परिवर्तन
परिवर्तन
विनोद सिल्ला
विषय -घर
विषय -घर
rekha mohan
कान का कच्चा
कान का कच्चा
Dr. Kishan tandon kranti
3312.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3312.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
*****खुद का परिचय *****
*****खुद का परिचय *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कुछ पाने के लिए
कुछ पाने के लिए
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ऐ जिन्दगी मैने तुम्हारा
ऐ जिन्दगी मैने तुम्हारा
पूर्वार्थ
खामोशियां पढ़ने का हुनर हो
खामोशियां पढ़ने का हुनर हो
Amit Pandey
*ओले (बाल कविता)*
*ओले (बाल कविता)*
Ravi Prakash
कविता ही हो /
कविता ही हो /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
आलिंगन शहद से भी अधिक मधुर और चुंबन चाय से भी ज्यादा मीठा हो
आलिंगन शहद से भी अधिक मधुर और चुंबन चाय से भी ज्यादा मीठा हो
Aman Kumar Holy
"चाँदनी रातें"
Pushpraj Anant
एक ज़िद थी
एक ज़िद थी
हिमांशु Kulshrestha
पुराना साल जाथे नया साल आथे ll
पुराना साल जाथे नया साल आथे ll
Ranjeet kumar patre
■ आज की मांग
■ आज की मांग
*Author प्रणय प्रभात*
ती सध्या काय करते
ती सध्या काय करते
Mandar Gangal
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शब्द
शब्द
Madhavi Srivastava
जय शिव-शंकर
जय शिव-शंकर
Anil Mishra Prahari
टाईम पास .....लघुकथा
टाईम पास .....लघुकथा
sushil sarna
एक सच
एक सच
Neeraj Agarwal
प्रेम शाश्वत है
प्रेम शाश्वत है
Harminder Kaur
चल बन्दे.....
चल बन्दे.....
Srishty Bansal
नाथ मुझे अपनाइए,तुम ही प्राण आधार
नाथ मुझे अपनाइए,तुम ही प्राण आधार
कृष्णकांत गुर्जर
लोगों की फितरत का क्या कहें जनाब यहां तो,
लोगों की फितरत का क्या कहें जनाब यहां तो,
Yogendra Chaturwedi
अपने आमाल पे
अपने आमाल पे
Dr fauzia Naseem shad
कभी कभी ज़िंदगी में लिया गया छोटा निर्णय भी बाद के दिनों में
कभी कभी ज़िंदगी में लिया गया छोटा निर्णय भी बाद के दिनों में
Paras Nath Jha
मैं अपना गाँव छोड़कर शहर आया हूँ
मैं अपना गाँव छोड़कर शहर आया हूँ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*औपचारिकता*
*औपचारिकता*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद — वंश परिचय — 01
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद — वंश परिचय — 01
Kirti Aphale
Loading...