कैसे लिखूं,
लिखना भूल गयी,
जब देखी तेरी यह दुनिया,
क्या क्या लिखूं,क्या न लिखूं,
दिल घबरा जाता है,
ईश्वर तेरी रचना का कैसे अपमान लिखूं ?
धोखा, फरेब, बेईमानी का कैसे अंबार लिखूं,
उफ़!कैसे गरीबी, बेबसी, लाचारी का भण्डार लिखूं,
कैसे होता यहां भावनाओं का व्यपार लिखूं,
यहां होता क्या क्या है?
कैसे लिखूं,
सिर्फ बचपन में दिखती तेरी झलक,
यहां तो इंसान बन रहा खुदा,
कैसे लिखूं,
तू देख रहा सब कुछ, गूँगा बहरा बना बैठा है ,
कैसे लिखूं
तू ही बता दे तेरी सृष्टि का हाल कैसे लिखूं
कैसे लिखूं पीड़ा मानवता की,
कैसे पशुता का व्याख्यान लिखूं,
कैसे लिखूं ………..