– कैसे कह दूं. —
क्या खोया है, क्या पाया है
मैं तो कुछ नही लाया था
उस ने दिया , उस ने लिया
यही तो जगत भर आया है
आस मोहोब्बत सकून बेचैनी
दर्द गिला और शिकवा शिकायत
रूठना, मना लेना
सब कुछ यहीं तो पाया है
किस बात पर करें नाज
किस बात के खोने का गम
या इंसान का भ्रम है
यह तो खुद इंसान लाया है
कैसे कह दू मैं तुझ से
कि यह सब दुसरे से आया है
जब पैदा हुआ था मैं जगत में
तभी सब बन साथ ही आया है
अजीत कुमार तलवार
मेरठ