कैसी आई है सदी
कैसी आई हैं सदी,
देखो प्यासी है नदी,
भरा विपुल जल,
फिर भी सूना कल,
कहाँ है सावन झूले,
सब हम जन भूले,
रिश्ते गए सिमट ,
भरी हैं कड़वाहट,
दिखावे का दौर,
उठते नही भौर,
बड़े बड़े जो शहर,
कोलाहल की लहर,
पश्चिम की ये हवा,
घर- घर की दवा,
ढूँढते ढूँढते सुख,
आया करीब दुःख,
जकड़ गए बीमारी में,
फँस गए लाचारी में,
क्षीण हुई सहन शक्ति,
चापलूसी की बड़ी भक्ति,
लक्ष्मी की जय जयकार,
मचा चहुँओर हाहाकार,
यहाँ लगा बिकने ज्ञान,
कैसे होगा मधुर गान,
सुन लो ईश विनती जान,
देश बने मेरा फिर महान,
।।जेपीएल।।।