— कैश है तो ऐश है —
नाम ही कुछ ऐसा है
एक दम वैसा है
जेब में हो हर दम
तो जमाना भी अपना है
कैश पर ही होती है
ऐश तभी तो होती है
क्या है जिन्दगी उधार की
जब बीच राह अस्मत खोती है
पैसा रखो जेब में
चाहे रहो यहाँ या विदेश में
पराये भी अपने बन जाते हैं
जब कैश रखा हो जेब में
किस के आगे फैलाओगे हाथ
किस से करोगे तुम गुजारिश
जरा जेब गर्म रख के तो देखो
कैसे आते हैं सब ले सिफारिश
अजीत कुमार तलवार
मेरठ