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11 Oct 2017 · 1 min read

कैद में है रोशनी

प्रतिकूल हो सोची परिस्थिति,
विपरीत सभी आपात
आज नही तो कल बदलेंगे द्दणता से हालात।
चारों तरफ फैला अॅधेरा,
कैद में है रोशनी,
चन्द्रमा पर तो ग्रहण है,
बन्धक बनी है चाँदनी।
कुछ उपक्रम तो करें, क्यों सहन करें आघात,
तम से लड़ना है हम सब को,
तभी विजय पा सकते।
इनसे यदि हम डर जायेंगे,
नहीं अभय हो सकते।
मन से हम प्रयास तो करें,
दिख रहा सामने प्रभात।
हाथ पर हाथ कब तक रखें,
जागने का है समय ।
बहस बहुत हो चुकी रात की, सामने ही है विजय।
यत्न कर दीपक तो जलायें, बीत जायेगी काली रात।
आज नही तो कल बदलेंगे, दृढ़ता से हालात

Language: Hindi
285 Views
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