Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Sep 2017 · 2 min read

कैकयी

मैं कैकयी हूँ मेरा मेरा दर्द तुम क्या जानो
एक स्त्री की पीड़ा को भला तुम क्या जानो
जिसे ह्रदय में पथ्थर रखकर भेजा था वन
वो मेरा पुत्र राम था ये सब तुम क्या जानो

माँ की ममता तड़पी है ये तुम क्या जानो
अधर्म मुक्त करनी थी धरती ये तुम क्या जानो
रघुकुल का सम्मान मुकुट था पापी के पास
जानते हुये भी ये सब भला तुम क्या जानो

क्या बीती होगी मुझ माँ पर ये तुम क्या जानो
कैसे भेजा होगा नयनों प्यारा वन ये क्या जानो
मैं कलंकिनी हूँ कुलटा हूँ औऱ क्या कहते हो
मैं दिये की बत्ती सी जली ये तुम क्या जानो

पिया है मैंने भी हलाहल ये तुम क्या जानो
रोयी हूँ मैं भी पल पल ये सब क्या जानो
भरत से भी प्रिय था मुझे मेरा प्यारा राम
भला दुनियाँ में ये सब कुछ तुम क्या जानो

मैंने भी किया है त्याग भला तुम क्या जानो
मान प्रतिष्ठा सब धूमिल की है ये क्या जानो
मै ठहरी एक अभागिन अबला निर्बल स्त्री
इस स्त्री की व्यथा को तुम सब क्या जानो

रघुकुल की आबरू बचानी थी तुम क्या जानो
मुकुट बिन बेकार सब तैयार थी ये क्या जानो
अपने प्राणों से प्रिये राम को भेजा था वन में
वहाँ मेरा बेटा था ये सबकुछ तुम क्या जानो

मैं अभागिन कैकयी हूँ मुझे तुम क्या जानो
जली हूँ अग्नि कुंड सी तुम क्या पहिचानो
शिव की तरह पीकर हलाहल नीलकंठ न हुई
हो गई हूँ गुमनाम मुझे तुम क्या पहिचानो

मैं बेबसी हूँ उदासी की सखी हूँ तुम क्या जानो
मैं भी एक औरत हूँ भला मुझे तुम क्या जानो
किस तरह भेजा है 14 वर्ष वन में पुत्र को
ये पीड़ा भला माँ के सिवा तुम क्या जानो

ऋषभ परेशान है तुम्हारे लिये तुम क्या जानो
कैकयी की वेदना को भी तुम क्या जानो
अधर्म को मिटाकर रामराज्य लाना था उसे
इस त्याग की कहानी को तुम क्या जानो

Language: Hindi
1 Like · 580 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बूढ़ी मां
बूढ़ी मां
Sûrëkhâ Rãthí
कहाँ है!
कहाँ है!
Neelam Sharma
बच्चों के पिता
बच्चों के पिता
Dr. Kishan Karigar
ज़िंदगी को
ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
*राधा जी आओ खेलो, माधव के सॅंग मिल होली (गीत)*
*राधा जी आओ खेलो, माधव के सॅंग मिल होली (गीत)*
Ravi Prakash
इश्क़ ला हासिल का हासिल कुछ नहीं
इश्क़ ला हासिल का हासिल कुछ नहीं
shabina. Naaz
रामनवमी
रामनवमी
Ram Krishan Rastogi
लिया समय ने करवट
लिया समय ने करवट
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
प्रेम का दरबार
प्रेम का दरबार
Dr.Priya Soni Khare
मिसाइल मैन को नमन
मिसाइल मैन को नमन
Dr. Rajeev Jain
मंजिलों की तलाश में, रास्ते तक खो जाते हैं,
मंजिलों की तलाश में, रास्ते तक खो जाते हैं,
Manisha Manjari
जिंदगी
जिंदगी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
■ काम की बात
■ काम की बात
*Author प्रणय प्रभात*
देने के लिए मेरे पास बहुत कुछ था ,
देने के लिए मेरे पास बहुत कुछ था ,
Rohit yadav
मैं तो महज संघर्ष हूँ
मैं तो महज संघर्ष हूँ
VINOD CHAUHAN
ज़िन्दगी एक उड़ान है ।
ज़िन्दगी एक उड़ान है ।
Phool gufran
2500.पूर्णिका
2500.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आदमी हैं जी
आदमी हैं जी
Neeraj Agarwal
औरतें
औरतें
Kanchan Khanna
मेरा प्रदेश
मेरा प्रदेश
Er. Sanjay Shrivastava
एक मोम-सी लड़की रहती थी मेरे भीतर कभी,
एक मोम-सी लड़की रहती थी मेरे भीतर कभी,
ओसमणी साहू 'ओश'
गीत गाऊ
गीत गाऊ
Kushal Patel
आगे बढ़ने दे नहीं,
आगे बढ़ने दे नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सुबह सुहानी आपकी, बने शाम रंगीन।
सुबह सुहानी आपकी, बने शाम रंगीन।
आर.एस. 'प्रीतम'
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा होता है।
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा होता है।
आनंद प्रवीण
के श्रेष्ठ छथि ,के समतुल्य छथि आ के आहाँ सँ कनिष्ठ छथि अनुमा
के श्रेष्ठ छथि ,के समतुल्य छथि आ के आहाँ सँ कनिष्ठ छथि अनुमा
DrLakshman Jha Parimal
डा. तुलसीराम और उनकी आत्मकथाओं को जैसा मैंने समझा / © डा. मुसाफ़िर बैठा
डा. तुलसीराम और उनकी आत्मकथाओं को जैसा मैंने समझा / © डा. मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
माॅं
माॅं
Pt. Brajesh Kumar Nayak
** दूर कैसे रहेंगे **
** दूर कैसे रहेंगे **
Chunnu Lal Gupta
Loading...