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6 Oct 2017 · 1 min read

“*कृष्ण महारास*”

किया सोलह श्रृंगार
मिले पूनम का प्यार।
कान्हा तुमको आज आना ही पड़ेगा।
ना चलेगा अब बहाना
बांसुरी लेकर तुमको आना।
चांद को भी अमृत बरसाना अब पड़ेगा।

न आये गर तुम आज,
छोड़ दूंगी सब साज।
एक दिन तुम को पछताना फिर पड़ेगा।
सृष्टि में बरसाओ प्रेम आज।
प्रकृति का सुंदर हो फिर साज।
बांसुरी की तान सुनाना अब पड़ेगा।

बीती जाए सारी रात।
अब तक आए नहीं तात्।
इसी वक्त कान्हा तुमको आना अब पड़ेगा
सुन प्रेम की आवाज।
करके सोलह फिर साज।
कि राधा संग रास रचाना अब अब पड़ेगा।

पकड़ राधा का फिर हाथ।
और गोपियों का साथ।
सोलह चंद्रमा को भी आना अब पड़ेगा।
हुई प्रेम की वरसात।
बरसा अमृत जिसके साथ।
कि अमर प्रेम रास रचाना अब पड़ेगा।

प्रशांत शर्मा सरल
नेहरूवार्ड नरसिंहपुर
मो 9009594797

Language: Hindi
512 Views
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