Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2018 · 2 min read

कृष्ण-कर्ण संम्वाद ,प्रसंगवस-आज के परिवेश में

कृष्ण-कौन्तेय,करो तुम इस पर विचार,
पाण्डवों का साथ देकर,करो भूल में तुम सुधार।
कर्ण-“हे मधुसूदन,देर हुई अब,
लौट मै नही सकता,
दिया वचन है मां गान्धारी को,भाग नही मै पाऊंगा
जीवित रहते,मै दुर्योधन को छोड के नही जाऊंगा
कर्ण- केशव मुझको यह बतलाओ,
दोष मेरा तब क्या था,मां ने जन्मा,फिर क्यों तब मुझको छोड दिया,क्षत्रिय न था तो गुरु द्रौण ने शिक्षा से भी वंचित किया, ऋषि परशुराम ने दी थी,शिक्षा और फिर शापित भी किया,
किया गया तब भी अपमानित,द्रौपदी का जब स्वयमंबर हुआ, वह दुर्योधन ही तो था,
जिसने मुझको समझा,और अंग राज से सम्मानित किया,अब जब उस पर संकट आया है,
मै उसका साथ छोड दूँ कैसे,
नही माधव,यह मै कर न सकूंगा, ऐसै,
जीत हार अब अर्थ हीन है,
कलकिंत होकर मै जी न सकूंगा ।
कृष्ण-“अंगराज,तो सुनो मुझे,
काल कोठरी मे जन्म हुआ था,
मात पिता ने भी त्याग दिया ,
कर दूर अपने आंचल से,मां यशोदा को सौपं दिया
पशुशालाओं मे पला बढा,भय का आलम इतना था,गऊओं संग जीवन साधा,
कितने असुरों को मैने झेला,
शिक्षा से भी मैं वंचित रहा हुँ,
हासील यह किशोरावस्था मे किया,
ॠषि सन्दीपन के आश्रम में पाकर ज्ञान,
मुझे राज काज को प्रस्तुत किया,
किया प्रेम जिससे मैने,उसको भी मे पा न सका।
तुमने जिसको प्यार किया था,
उसको तुमने पाया भी है, पर मुझको क्या मिला,
मिली मुझे हैं वह सब नारियां,जिन्हे मैने बचाया था
थी वह जब घोर संकट मे,उन आसुरी शक्तियों से मुक्त कराया था,यमुना तट से हट कर मैने,जब नया नगर बसाया था,नाम मिला रण छोड मुझे,तब
क्यों मै यह कहलाया था।
कल अगर दुर्योधन जिता,तो यश तुम्हे अपार मिलेगा,गर जीत मिली धर्मराज को,तो मुझको क्या मिलेगा।
जीवन मे आती ही हैं ये चुनौतियां,
वह चाहे तुम हो या फिर हुँ मै ही,
या फिर वह दुर्योधन हो,या हो वह युद्धिष्ठर ही,
सबको न्याय अन्याय मे न पड कर,
अधर्म नही अपनाना है,यही सार है धर्म ग्रन्थो का
यही मेरा नजराना है,और यही तुम्हे समझाना भी है।

Language: Hindi
490 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
गये ज़माने की यादें
गये ज़माने की यादें
Shaily
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
Kashtu Chand tu aur mai Sitara hota ,
Kashtu Chand tu aur mai Sitara hota ,
Sampada
पहला प्यार
पहला प्यार
Pratibha Kumari
*अपने अपनों से हुए, कोरोना में दूर【कुंडलिया】*
*अपने अपनों से हुए, कोरोना में दूर【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
" माँ का आँचल "
DESH RAJ
मैं अक्सर तन्हाई में......बेवफा उसे कह देता हूँ
मैं अक्सर तन्हाई में......बेवफा उसे कह देता हूँ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
शिव छन्द
शिव छन्द
Neelam Sharma
रमेशराज की वर्णिक एवं लघु छंदों में 16 तेवरियाँ
रमेशराज की वर्णिक एवं लघु छंदों में 16 तेवरियाँ
कवि रमेशराज
संघर्ष
संघर्ष
विजय कुमार अग्रवाल
तंग अंग  देख कर मन मलंग हो गया
तंग अंग देख कर मन मलंग हो गया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सर्वे भवन्तु सुखिन:
सर्वे भवन्तु सुखिन:
Shekhar Chandra Mitra
My Expressions
My Expressions
Shyam Sundar Subramanian
नित नए संघर्ष करो (मजदूर दिवस)
नित नए संघर्ष करो (मजदूर दिवस)
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
तुम्हारी आंखों का रंग हमे भाता है
तुम्हारी आंखों का रंग हमे भाता है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
देकर हुनर कलम का,
देकर हुनर कलम का,
Satish Srijan
बिल्ले राम
बिल्ले राम
Kanchan Khanna
दोहा
दोहा
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
स्कूल कॉलेज
स्कूल कॉलेज
RAKESH RAKESH
Kirdare to bahut nibhai ,
Kirdare to bahut nibhai ,
Sakshi Tripathi
मानव मूल्य शर्मसार हुआ
मानव मूल्य शर्मसार हुआ
Bodhisatva kastooriya
2281.पूर्णिका
2281.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जो कहा तूने नहीं
जो कहा तूने नहीं
Dr fauzia Naseem shad
जो पहले ही कदमो में लडखडा जाये
जो पहले ही कदमो में लडखडा जाये
Swami Ganganiya
देर हो जाती है अकसर
देर हो जाती है अकसर
Surinder blackpen
प्यार के बारे में क्या?
प्यार के बारे में क्या?
Otteri Selvakumar
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
कवि दीपक बवेजा
माना   कि  बल   बहुत  है
माना कि बल बहुत है
Paras Nath Jha
*.....उन्मुक्त जीवन......
*.....उन्मुक्त जीवन......
Naushaba Suriya
शुभ हो अक्षय तृतीया सभी को, मंगल सबका हो जाए
शुभ हो अक्षय तृतीया सभी को, मंगल सबका हो जाए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...