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30 Dec 2020 · 1 min read

कृषि मेरा रणक्षेत्र

कसम ए कश की जिंदगी में
चीखती चिल्लाते गुमनाम
आवाज़ ऐं ये कौन हैं,
नहीं है कोई अपना
कम से कम सुकून कर,
भाव विभोर ये मन लालायित है,
चलो चलकर एक बार आवाजें सुने.

ये कौन है
जिनकी ये आवाज है,
चलो चल कर शिनाख्त करें,
अरें कम्पकपाती ये ठण्ड
जिस पर अलावी पुलाव भी है बेअसर,

कैसे दुत्कार करें.
किसने छीन लिए हैं
इनके घर कपडे और दो जून की रोटियां,
मजदूर भी ये ही
खेत खलिहान रणभूमि कर्मभूमि यही,
कहते है कृषक.

पैदावार उत्पादक खरीद कर लाने वाला ,
दुपहिया मोटर वाहन चालक यही.
यही है पुलिस, सैनिक, खेल,खिलाड़ी,
समझे इन्हें,
न भूलकर भी भूल कर,
ये बहुत है अनाड़ी,

पाल़े नापे है, खींच कर एक लकीर,
हैं बहुत बड़े फकीर,
नाप देंगे आज,
भाव
तोल में हेराफेरी न कर.

Renu Bala Hans

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 285 Views
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