कृषि एवं उसका साम्राज्य
कृषि को अंग्रेजी भाषा में एग्रीकल्चर कहते है, जो लेतीं भाषा के अग्रिक अर्थात मृदा एवं कल्चर अर्थात कर्षण से मिलकर बना है। अगर परिभाषा के रूप में देखें तो कृषि – ” भोजन, कपड़ा व ईधन आदि की पूर्ति के लिए मानव द्वारा जमीन की मदद से जो क्रियाएं की जाती है, उसे कृषि (Agriculture) कहते हैं ”
कृषि विज्ञान है- क्योकि इसमें अनुवांशिक एवं प्रजनन तकनीकी का प्रयोग कर फसल उत्पादन एवं बीज गुणवत्ता को बढ़ाया जाता है साथ ही इसमें कृषि भूमि की उत्पादकता आदि को बढ़ाने के लिए भूमि के अनुसार उचित खाद एवं रासायनिक उत्पादों का प्रयोग किया जाता है । तथा फलसो को बीमारी से बचाने एवं कीड़े मकोड़ों एवं खरपतवार से बचाने के लिए भिन्न भिन्न रासायनिक पदार्थो का प्रयोग होता है।
कृषि कला है – क्योंकि बीजों को बिखेरना, खेत की भूमि को समतल करना, उसे जोतना ,उसमे पानी लगाना और फसल कटाई एवं नराई आदि कला का प्रदर्शन है।
कृषि वाणिज्य है या व्यवसाय है – क्योंकि इसमें कृषि उत्पाद का क्रय विक्रय किया जाता है और एक स्थान से दूसरे स्थान पर किया जाता है।
कृषि गणित है- क्योंकि इसमें उत्पादन मात्रा को ज्ञात कर क्रय विक्रय होता है और भविष्य के लिए उत्पादन सम्बन्धी योजना बनाई जाती है ।
कृषि इतिहास है- क्योंकि कि वर्तमान में जो भी कृषि प्रक्रिया है उसका एक आदिम रूप भी है, जिसका समय और परिस्थितियों के अनुरूप क्रमिक विकाश होकर ही उसने वर्तमान रूप प्राप्त किया है।
कृषि समाज है – क्योंकि मनुष्य का विकास एवं उसके समाज का विकास फिर चाहे वह राजनितिक हो या आर्थिक या फिर सांस्कृतिक सभी प्रत्यक्ष रूप से कृषि से ही जुड़े हुए है।
– राजनीती में राजाओं ने कृषि भूमि पर अधिकार कर बड़े बड़े साम्राज्य स्थापित किए ।
– आर्थिक रूप में व्यापारियों और उत्पादकों के कच्चा और पूर्ण माल लेकर व्यापार और रोजगार को बढ़ाया ।
– कृषि उत्पादन के लिए और विशिष्ट कृषि उत्पादन के लिए किसी समाज विशेष ने परम्पराएं विकसित की है एवं कर्मकांडो का विकास किया है जो आज वर्तमान रूप में बिहू,पोंगल,लोहड़ी आदि के रूप में चली आ रही है ।
– कृषि के द्वारा सांस्कृतिक सम्मेलन भी हुआ है क्योंकि कृषि उत्पादों के व्यवसार के लिए एक समाज को दूसरे समाज के बारे में जानकारी मिली और फिर समाजों में आपने अपने अनुभवों का आदान प्रदान हुआ।
– कृषि ज्योतिष भी है- क्योंकि कुछ फसलें केवल विशिष्ट मौसम और परिस्थिति में ही उगती है ,जिससे उनके द्वारा ग्रहों की चाल एवं ग्रहण आदि के प्रभाव का पता लगाया जाता है। कृषि पर पड़ते मौसम के प्रभाव को समझने के लिए भिन्न भिन्न ज्योतिष क्रियाओं का अविष्कार हुआ।
इसका सीधा उदाहरण जनक द्वारा बारिश के लिए खींचा हल है।