Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Nov 2017 · 5 min read

कुरान, इस्लाम और मुसलमान

वर्ष 2010 के एक अध्ययन के मुताबिक, दुनियाँ के दूसरे सबसे बड़े धार्मिक सम्प्रदाय इस्लाम के तकरीबन 1.6 अरब अनुयायी हैं. जोकि विश्व की आबादी की लगभग 23% हिस्सा हैं, जिसमें 80-90 प्रतिशत सुन्नी और 10-20 प्रतिशत शिया हैं. मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका, अफ्रीका का हार्न, सहारा, मध्य एशिया एवं एशिया के अन्य कई हिस्सों में इस्लाम अनुयायी प्रमुखता से पाए जाते हैं.

राष्ट्र की एक छोटी लेखिका होने के नाते मेरा फर्ज बनता है कि उन प्रत्येक समाजिक मुद्दो पर लिखूँ, जो सम-सामयिक हों, सामाजिक बेहतरीकरण के हिस्सेदार हों और हम सबको एक नई राह दिखलाने में सहायक हों. लिखने से पहले मै पवित्र मज़हबी पुस्तक कुरान-ए-शरीफ़ एवं हदीश को तसल्ली से पढ़ी, गहराई से समझने की कोशिश के साथ साथ एक व्यापक मनन-चिंतन भी किया. खैर, कुछ तथाकथित सेक्युलर लोग यह जरूर बोल सकते हैं कि यह अनावश्यक विषय है, मज़हबी मामला है, इसमें हिन्दू लेखिका द्वारा लेख लिखा जाना ठीक नहीं है. मुझसे कई लोग अक्सर बोलते भी हैं कि आप एक हिन्दू लेखिका होकर भी मुस्लिम, सिक्ख, इसाई धर्म को क्यूँ पढ़ती हो ?. खैर, साहब आपकी सोच आपको मुबारक हो. मै एक कालजयी लेखिका नही बनना चाहती, समाज की बिसंगतियों पर मै सतत् कलम चलाती रहूँगी, जिससे समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव आ सके. मेरा इससे दूर दूर तक लेना देना नहीं है कि आप मेरे बारे में क्या सोचते हैं ? आप स्वतंत्र हैं, सोचते रहिए साहब. मै एक स्वतंत्र लेखिका हूँ, सतत् लिखती रहूँगी, न तो मैने कभी कलम को नीलाम किया है और न ही आगे करूँगी. सर कट जाए, मगर कलम नहीं बिकनें दूँगी.

अल्लाह के द्वारा उतारी गयी एवं देवदूत जिब्राएल द्वारा हजरत मुहम्मद को पहली बार सुनायी गयी पवित्र कुरान मुस्लिम धर्म की नींव है. कुरान में कुल 114 सूरह, 540 रूकू, 14 सज्दा, 6666 आयत, 86423 शब्द, 32376 अक्षर, 24 नबियों का जिक्र है. किवदन्तियों की मानें तो , आदम को इस्लाम का पहला नबी यानी पैगम्बर माना जाता है. जिस प्रकार हिन्दू धर्म में मनु की सन्तानों को मनुष्य कहा जाता है, उसी प्रकार इस्लाम में आदम की सन्तानों को आदमी कहा जाता है और आदम को ही इसाइयत में एड़म कहा जाता है.

विशेष ध्यातव्य है कि अल्लाह धरती पर किसी को भेजनें से पहले ठीक ठीक नसीहत देकर भेजता है और कहता है कि सीमित समय के लिए धरती पर जा रहे हो, वहाँ जाकर नेक कर्म ही करना. कुरान में भी कहा गया है कि सकारात्मक कार्य करो, जीव हत्या, पेड़ काटना, किसी को तकलीफ पहुँचाना, व्यर्थ पानी बहाना, अन्य गलत कार्य कुरान के मुताबिक पाप हैं. प्रत्येक आदमी को वापस अल्लाह के पास ही जाना पड़ेगा, कभी न कभी उसके अच्छे बुरे कार्यो का हिसाब जरूर होगा. अल्लाह के सारे खलीफ़ा या नबियों का एक ही पैगाम रहता है कि खुदा के बताए हुए राह पर कायम रहो, ईमान रखो और अल्लाह पर भरोशा रखो.

जो हज़ यात्रा करके वापस आते हैं, उन्हे हाज़ी कहा जाता है. मगर हज़ तभी कुबूल होती है जब हज करने वाला शख्स जकात और फितरा को जीवन में उतारकर अल्लाह के रसूलो के मुताबिक कार्य करता है. जो कुरान को अच्छी तरह से जानते, समझते और उसकी आयतों को जुबान पर रखते हों, उन्हे हाफ़िज़ कहा जाता है. रमजान के महीनें में मुसलमान अक्सर नमाज अदा करते हैं, रोजा रखते हैं, तकरीर भी करते हैं. कुरान शरीफ़ को आसानी से समझने और रसूलों से वाकिफ़ होनें के लिए मौलवियों ने अपने अपने तरीके से हदीश की विवेचना की है.

कुरान अरबी भाषा में लिखी गयी है और इस्लाम एकेश्वरवादी धर्म है. विश्व के कई देशों एवं करोड़ों लोगो द्वारा पढ़ी जाने वाली कुरान के मुख्यत: पाँच स्तम्भ है –
1- शहादा (साक्षी होना)- गवाही देना. “ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मद रसूल अल्लाह”, मतलब अल्लाह के सिवाय और कोई परमेश्वर नही है और मुहम्मद, अल्लाह के रसूल हैं. इसलिए प्रत्येक मुसलमान अल्लाह के एकेश्वरवादिता और मुहम्मद के रसूल होने के अपने विश्वास की गवाही देता है.
2- सलात (प्रार्थना)- इसे फारसी में नमाज कहते हैं. इस्लाम के अनुसार नमाज अल्लाह के प्रति कृतज्ञता दर्शाती है. मक्का की ओर मुँह करके दिन में पाँच वक्त की नमाज हर मुसलमान को अदा करना होता है.
3- रोजा (रमजान)- यानी व्रत, इसके अनुसार रमजान के महीनें में प्रत्येक मुसलमान को सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखना अनिवार्य है. भौतिक दुनियाँ से हटकर ईश्वर को निकटता से अनुभव करना एवं निर्धन, गरीब, भूखों की समस्याओं और परेशानियों का अनुभव करना ही मुख्य उद्देश्य है.
4- जकात- यह वार्षिक दान है, इसके अनुसार प्रत्येक मुसलमान अपनी आय का 2.5% निर्धनों में बाँटता है क्योंकि इस्लाम के अनुसार पूँजी वास्तव में अल्लाह की देन है.
5- हज़ (तीर्थ यात्रा)- इस्लामी कैलण्ड़र के 12 वें महीने में मक्का में जाकर की जाने वाली धार्मिक यात्रा है. परन्तु हज़ उसी की कुबूल होती है जो आर्थिक रूप से समान्य हो और हज़ जाने का खर्च खुद उठा सके.

गौरतलब है कि कुरान के प्रत्येक सूरा के शुरूआत में “बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्ररहीम” आता है. इसका मतलब है कि प्रत्येक मुसलमान प्रार्थना ( अल्लाह के नाम से शुरू जो बहुत मेहरबान रहमत वाला ) करता है और कहता है कि हे अल्लाह ! तू मुझे अपने बताए हुए उसूलों और ईमान पर चला, तू ही सारे जहान का मालिक है, रहमत वाला है, हम तुझी पर न्यौछावर हैं, हमको सीधा रास्ता चला परन्तु रास्ता तुझे पानें का हो, न कि बहकाने वालों का हो. राम, रहीम एवं हनुमान, रहमान के पैगाम में कोई फर्क नहीं है. बसर्ते उसकी प्रार्थना और पाने का रास्ता भिन्न भिन्न है. जिस कुरान के प्रत्येक सूरा में खुदा से रहमत की बात कही गयी हो, वह कभी हिंसात्मक हो ही नही सकता. प्रत्येक धर्म में कुर्बानी की बात कही गयी है परन्तु उसका यह कतई अर्थ नही है कि आप जीव, जन्तु, पशु, पक्षी की हत्या करें. कुर्बानी का मतलब यह है कि आप अपनी आवश्यकता से अधिक धन-दौलत एवं विद्या गरीबो और जरूरतमंदों के लिए समर्पित यानी कुर्बान करें.

अशफाक उल्ला खाँ, इलाहाबाद से लियाकत अली, बरेली से खान बहादुर खाँ, फैजाबाद से मौलवी अहमद उल्ला, फतेहपुर से असीमुल्ला, मौलाना अबुल कलाम, ब्रिगेड़ियर एम उस्मान, मेजर अनवर करीम व अन्य ऐसे तमाम क्रान्तिकारी राष्ट्रभक्त थे, जिन्होने जाति धर्म से ऊपर उठकर भारत माँ के आन-मान-शान की रक्षा करने हेतु प्राणों को न्यौछावर कर दिया. इस सब महान आत्माओं के लिए धर्म से बढ़कर राष्ट्र था. इन्होनें सही मायने में जीवन को समझा और कुर्बानी दी.

अहिंसा, प्रेम, सद्भाव ही सभी धर्मों का मूल है और सबका मालिक भी एक है. फर्क इतना ही है कि हम उसे अलग अलग नामों से जानते हैं. आप ही बताइए कि गर दुनियाँ को चलाने वाला एक है तो उसका पैगाम अलग अलग कैसे हो सकता है ? मानवता ही हम सबका का पहला धर्म है. अच्छाइयाँ, बुराइयाँ प्रत्येक जगह होती हैं, मगर समयोपरान्त हम बुराइयों को छोड़कर अच्छाइयों का आत्मसात् करते हैं. इसलिए आज बाकी धर्मों के साथ साथ इस्लाम धर्म के अनुयायियों को चाहिए कि वो अपने मजहबी दुनियाँ से बाहर निकलकर मानवता एवं संविधान को सर्वोपरि समझें, मज़हबी खामियों को दूर करें, सुप्रिम कोर्ट द्वारा तत्कालिक तीन तलाक पर रोक इसकी एक बानगी है और यह फैसला सचमुच काबिले तारीफ भी है. बेहतर होगा कि इस्लाम धर्म के जानकार और अनुयायी चिंतन करके कौम एवं मानव हित में सकारात्मक बदलाव लाएँ, कुरान-ए-शरीफ के बताए हुए सही मार्गो पर चलें. समय के साथ बदलाव अवश्यमंभावी है और होना भी चाहिए.

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 1 Comment · 363 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्यार की स्टेजे (प्रक्रिया)
प्यार की स्टेजे (प्रक्रिया)
Ram Krishan Rastogi
अन्त हुआ सब आ गए, झूठे जग के मीत ।
अन्त हुआ सब आ गए, झूठे जग के मीत ।
sushil sarna
रखा जाता तो खुद ही रख लेते...
रखा जाता तो खुद ही रख लेते...
कवि दीपक बवेजा
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
होगा कौन वहाँ कल को
होगा कौन वहाँ कल को
gurudeenverma198
करोगे रूह से जो काम दिल रुस्तम बना दोगे
करोगे रूह से जो काम दिल रुस्तम बना दोगे
आर.एस. 'प्रीतम'
I knew..
I knew..
Vandana maurya
*दर्द का दरिया  प्यार है*
*दर्द का दरिया प्यार है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चलो कल चाय पर मुलाक़ात कर लेंगे,
चलो कल चाय पर मुलाक़ात कर लेंगे,
गुप्तरत्न
जिंदगी की पहेली
जिंदगी की पहेली
RAKESH RAKESH
💐अज्ञात के प्रति-39💐
💐अज्ञात के प्रति-39💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Har roj tumhara wahi intajar karti hu
Har roj tumhara wahi intajar karti hu
Sakshi Tripathi
अन्तर्मन की विषम वेदना
अन्तर्मन की विषम वेदना
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
2973.*पूर्णिका*
2973.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
संसार में मनुष्य ही एक मात्र,
संसार में मनुष्य ही एक मात्र,
नेताम आर सी
" सत कर्म"
Yogendra Chaturwedi
दीप की अभिलाषा।
दीप की अभिलाषा।
Kuldeep mishra (KD)
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
"परिवर्तन"
Dr. Kishan tandon kranti
भाव गणित
भाव गणित
Shyam Sundar Subramanian
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
भूख
भूख
नाथ सोनांचली
कुछ तो गम-ए-हिज्र था,कुछ तेरी बेवफाई भी।
कुछ तो गम-ए-हिज्र था,कुछ तेरी बेवफाई भी।
पूर्वार्थ
कविता: जर्जर विद्यालय भवन की पीड़ा
कविता: जर्जर विद्यालय भवन की पीड़ा
Rajesh Kumar Arjun
-आगे ही है बढ़ना
-आगे ही है बढ़ना
Seema gupta,Alwar
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
कवि रमेशराज
*तपसी वेश सिया का पाया (कुछ चौपाइयॉं)*
*तपसी वेश सिया का पाया (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
काग़ज़ ना कोई क़लम,
काग़ज़ ना कोई क़लम,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मेरे देश के लोग
मेरे देश के लोग
Shekhar Chandra Mitra
स्वाल तुम्हारे-जवाब हमारे
स्वाल तुम्हारे-जवाब हमारे
Ravi Ghayal
Loading...