Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Mar 2020 · 4 min read

कुप्रबंधन का कोरोना

मिस्टर परफेक्ट अर्थात हमारे प्रथमसेवक शनिवार 21 मार्च की रात्रि 8 बजे टीवी पर अवतरित हुए. पहले उन्होंने चिंतातुर शब्दों में कोरोना की वैश्विक विभीषका का जिक्र किया. साथ ही घोषणा कर दी कि आज रात्रि 12 बजे से दूसरे दिन रात्रि 9 बजे तक के लिए जनता-कर्फ्यू होगा जिसमें जनता को घर के अंदर ही रहना है. इसके साथ ही जनता से यह अपील की कि 22 तारीख की शाम 5 बजे कोरोना जैसी महामारी के इस दौर में काम करनेवाले स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस, मीडियाकर्मी और अन्य इमरजेंसी सेवाओं में लगे अन्य लोगों के सम्मान में थाली, ताली और घंटा बजाएं. बस क्या था लोगों ने 5 बजे तक तो जनता-कर्फ्यू को कामयाब बनाया लेकिन जैसे ही 5 बजते हैं लोग भीड़ की शक्ल में घरों, कालोनियों से निकलकर सड़कों पर आकर थाली, ताली और घंटे का ऐसा नाद करते हैं जैसे वे कोरोना को चैलेंज कर रहे हों, और यह आवाज सुनकर कोरोना वायरस भाग जाएगा. यह दृश्य में बचपन में गांवों में उस वक्त देखा करता था जब अचानक ही कभी ओले बरसने लगते थे, तब गांव की महिलाएं सूप और मूसल को जोर-जोर से हिलाते हुए स्थानीय बोली में कुछ शब्दसमूह बुदबुदातीं और फिर उन्हें जोरों से आंगन में फेंक देती थीं. कुछ समय बाद ओले बरसने रुक जाते थे. लोगों को लगता था कि उनके ऐसा करने से ही ओले बरसने रुक गए. 22 तारीख की शाम 5 बजे थाली और घंटा बजाने के दृश्य को जब मैंने देखा तो पता चला कि आज भी देश की जनता टोने-टोटके के फ्रेम में अटकी हुई है. फिर 23 मार्च को बड़े पैमाने पर गौमूत्र पार्टी और उसके समर्थन में भाजपा नेताओं की ओर से बयान भी आए. देश की जनता यह समक्षकर निश्चिंंत हो गई कि अब कोरोना भाग जाएगा.
इसके बाद मिस्टर परफेक्ट अर्थात हमारे प्रथमसेवक 24 मार्च की रात्रि ठीक 8 बजे फिर अवतरित होते हैं और अचानक ही रात्रि 12 बजे से 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा कर देते हैं. इसमें वे आपदा के नियंत्रण और प्रबंधन की कोई भी रूपरेखा और पैकेज-योजना पेश नहीं करते. नतीजतन वही हुआ जो जिसकी आशंका हर सोच-विचार रखनेवाला देश का नागरिक कर रहा था. दो दिन बाद वित्तमंत्री दस हजार करोड़ के पैकेज के साथ तीन महीने के राशन की घोषणा करती है. यहां भी इसके वितरण और मजदूरों के प्रबंधन और उनके ठहराव पर कोई चर्चा नहीं होती. स्थानीय प्रशासन और स्थानीय स्वराज संस्थाएं केवल लोगों को बाहर जाने से रोकने के कोई उपाययोजना नहीं अपनातीं.
इसका नतीजा यह निकलता है कि लाखों मजदूर सड़कों पर उतर आए और लॉकडाउन की संकल्पना ही फेल हो जाती है. सड़Þकों पर पलायन करते कामगारों और उनके परिवारों का उमड़ा सैलाब किसी भी भावुक व्यक्ति को अंदर से हिला देने वाला है. कहीं कोई सवारी नहीं, खाना-पीना उपलब्ध नहीं, लेकिन साहस के साथ ये पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों की ओर चले जा रहे. महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा आदि से भी इस तरह पलायन देखा गया है. हालांकि दिल्ली जैसी विस्फोटक स्थिति कहीं पैदा नहीं हुई. लॉकडाउन का मतलब है कि जो जहां है वही अपने को कैद कर ले. कोरोना महामारी के प्रकोप से बचने का यही एकमात्र विकल्प है. लेकिन ये जीवन में पैदा हुए अभाव, या पैदा होने वाले अभाव के भय, पीठ पर किसी आश्वासन भरे हाथ के न पहुंचने तथा अन्य प्रकार के भय एवं कई प्रकार के अफवाहों के कारण पलायन कर रहे हैं.
हालांकि इस दृश्य को देखने के बाद गृह मंत्रालय सक्रिय हुआ. सभी राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने पत्र लिखकर 14 अप्रैल तक लॉकडाउन के दौरान सभी प्रवासी कृषि, औद्योगिक व असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के लिए खाने-पीने और ठहरने की उचित व्यवस्था करने को कहा. कहा गया कि बड़ी तादाद में पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों और अन्य लोगों को बीच रास्ते में ही रोक कर उन्हें समझाया जाए और उनकी देखरेख की जाए. इसमें यह भी कहा गया कि विद्यार्थियों और कामकाजी महिलाओं को भी उनकी मौजूदा जगह पर ही सारी सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए ताकि उन्हें किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़े. साथ ही होटलों, किराए के मकानों और हॉस्टलों में रह रहे लोगों का प्रवास सुनिश्चित करें ताकि लोग जहां कहीं भी हैं, उनका वहीं सुरक्षित रहना सुनिश्चित हो सके.
काश कितना अच्छा होता कि लॉकडाउन की घोषणा करने के पूर्व सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए स्वयं ब्लूप्रिंट तैयार करती और राज्य सरकारों को भी इसस स्थिति से निपटने के लिए योजना बनाने को कहती लेकिन ऐसा नहीं किया गया. फिर भी भक्तवृंद इन तमाम विफलताओं पर चर्चा करने की बजाय मोदी-गान में जुटे हुए हैं. सच तो यह है कि डब्ल्यूएचओ के डायरेक्शन के मुताबिक लॉकडाउन की घोषणा पहले ही की जानी थी. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो 12 फरवरी को ही ट्वीट कर सरकार को इसके लिए आगाह कर दिया था लेकिन उनकी बातों को देश में भय फैलानेवाला बताकर नजरअंदाज कर दिया गया था.

29 मार्च 2020, रविवार

Language: Hindi
Tag: लेख
4 Likes · 3 Comments · 363 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चंद्रयान ३
चंद्रयान ३
प्रदीप कुमार गुप्ता
" बीता समय कहां से लाऊं "
Chunnu Lal Gupta
जिंदगी और रेलगाड़ी
जिंदगी और रेलगाड़ी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जपू नित राधा - राधा नाम
जपू नित राधा - राधा नाम
Basant Bhagawan Roy
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सीख लिया मैनै
सीख लिया मैनै
Seema gupta,Alwar
बुद्ध को अपने याद करो ।
बुद्ध को अपने याद करो ।
Buddha Prakash
नववर्ष का आगाज़
नववर्ष का आगाज़
Vandna Thakur
कभी तो तुम्हे मेरी याद आयेगी
कभी तो तुम्हे मेरी याद आयेगी
Ram Krishan Rastogi
"चुल्लू भर पानी"
Dr. Kishan tandon kranti
कभी जिस पर मेरी सारी पतंगें ही लटकती थी
कभी जिस पर मेरी सारी पतंगें ही लटकती थी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
‌एक सच्ची बात जो हर कोई जनता है लेकिन........
‌एक सच्ची बात जो हर कोई जनता है लेकिन........
Rituraj shivem verma
दो फूल खिले खिलकर आपस में चहकते हैं
दो फूल खिले खिलकर आपस में चहकते हैं
Shivkumar Bilagrami
2264.
2264.
Dr.Khedu Bharti
हम दुसरों की चोरी नहीं करते,
हम दुसरों की चोरी नहीं करते,
Dr. Man Mohan Krishna
(15)
(15) " वित्तं शरणं " भज ले भैया !
Kishore Nigam
ट्रस्टीशिप-विचार / 1982/प्रतिक्रियाएं
ट्रस्टीशिप-विचार / 1982/प्रतिक्रियाएं
Ravi Prakash
যখন হৃদয় জ্বলে, তখন প্রদীপ জ্বালানোর আর প্রয়োজন নেই, হৃদয়ে
যখন হৃদয় জ্বলে, তখন প্রদীপ জ্বালানোর আর প্রয়োজন নেই, হৃদয়ে
Sakhawat Jisan
Destiny
Destiny
Dhriti Mishra
तू रुकना नहीं,तू थकना नहीं,तू हारना नहीं,तू मारना नहीं
तू रुकना नहीं,तू थकना नहीं,तू हारना नहीं,तू मारना नहीं
पूर्वार्थ
ये आँधियाँ हालातों की, क्या इस बार जीत पायेगी ।
ये आँधियाँ हालातों की, क्या इस बार जीत पायेगी ।
Manisha Manjari
कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढ़ा तुमको
कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढ़ा तुमको
Ranjana Verma
গাছের নীরবতা
গাছের নীরবতা
Otteri Selvakumar
बृद्धाश्रम विचार गलत नहीं है, यदि संस्कृति और वंश को विकसित
बृद्धाश्रम विचार गलत नहीं है, यदि संस्कृति और वंश को विकसित
Sanjay ' शून्य'
हमें कोयले संग हीरे मिले हैं।
हमें कोयले संग हीरे मिले हैं।
surenderpal vaidya
छायावाद के गीतिकाव्य (पुस्तक समीक्षा)
छायावाद के गीतिकाव्य (पुस्तक समीक्षा)
दुष्यन्त 'बाबा'
There are few moments,
There are few moments,
Sakshi Tripathi
लौटना मुश्किल होता है
लौटना मुश्किल होता है
Saraswati Bajpai
जय जय तिरंगा तुझको सलाम
जय जय तिरंगा तुझको सलाम
gurudeenverma198
अभिनेता वह है जो अपने अभिनय से समाज में सकारात्मक प्रभाव छोड
अभिनेता वह है जो अपने अभिनय से समाज में सकारात्मक प्रभाव छोड
Rj Anand Prajapati
Loading...