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16 Feb 2021 · 1 min read

कुन्देन्दु श्वेताम्बरी

कुन्देन्दु विराज कुमुद नयनी,
सुर कंठ विराज वीणावादिनी|
हे पद्मासना! श्वेताम्बरी,
हे! जग-जननी मातेश्वरी|
चरणों में दे स्थान हमें,
हे भगवति! गीता धारिणी|

हो हृदय तरंगित तारों से,
झंकृत हो दिल झंकारों से|
कर ज्ञान प्रवाहित जीवन में,
हे! सकल बसंत प्रदायिनी|

Language: Hindi
1 Comment · 238 Views
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