Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Feb 2017 · 1 min read

कुण्डलियाँ

पैसे बिन संसार में , हुआ नहीं कुछ काम .
मोल लिया है बैर भी , देकर उनको दाम .
देकर उनको दाम , बनाया दुश्मन जानी .
नहीं किसी का दोष, हुई हमसे नादानी .
कह गुलिया कविराय , लोग बहुतेरे ऐसे .
साथ निभाते खूब , मिलें ना जब तक पैसे.
:::::::::::::::
बातें सुन अधिकार की , पूछे इक लाचार .
कब मिलेगा हमें यहाँ , रोटी का अधिकार.
रोटी का अधिकार , रहे ना कोई भूखा .
मिले सभी को कौर , भले हो रूखा सूखा .
कह गुलिया कविराय, हों ऐसी करामातें .
पूर्ण करे भगवान , सभी के मन की बातें .
:::::::::::::::::::
रैली , भाषण , घोषणा , नारे और प्रचार .
मत हथियाने के यही , हैं सारे हथियार .
हैं सारे हथियार , चुनाव में आजमाते .
बातों से ये तोड़ , गगन के तारे लाते .
कह गुलिया कविराय ,देखलो इनकी शैली
जुट जाती है भीड़ , जहाँ ये करते रैली
:::::::::::
रिश्वतखोरी का यहाँ , गरम हुआ बाजार .
झूठ दौड़ता देख लो , लेकर पाँव हजार .
लेकर पाँव हजार , करें रिश्वत की पूजा .
बिन रिश्वत के काम ,सूझे न इनको दूजा .
कह गुलिया कविराय , करें ये सीनाजोरी.
खुश हैं रिश्वतखोर , देखकर रिश्वतखोरी.

1 Like · 519 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कर्मयोगी संत शिरोमणि गाडगे
कर्मयोगी संत शिरोमणि गाडगे
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
2937.*पूर्णिका*
2937.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
... बीते लम्हे
... बीते लम्हे
Naushaba Suriya
एक सपना
एक सपना
Punam Pande
बलात्कार
बलात्कार
rkchaudhary2012
हमारी जिंदगी ,
हमारी जिंदगी ,
DrLakshman Jha Parimal
" महखना "
Pushpraj Anant
नैन मटकका और कहीं मिलना जुलना और कहीं
नैन मटकका और कहीं मिलना जुलना और कहीं
Dushyant Kumar Patel
बिना मेहनत के कैसे मुश्किल का तुम हल निकालोगे
बिना मेहनत के कैसे मुश्किल का तुम हल निकालोगे
कवि दीपक बवेजा
"पल-पल है विराट"
Dr. Kishan tandon kranti
कुदरत के रंग.....एक सच
कुदरत के रंग.....एक सच
Neeraj Agarwal
फिर जिंदगी ने दम तोड़ा है
फिर जिंदगी ने दम तोड़ा है
Smriti Singh
She was the Mother - an ode to Mother Teresa
She was the Mother - an ode to Mother Teresa
Dhriti Mishra
मैं जी रहीं हूँ, क्योंकि अभी चंद साँसे शेष है।
मैं जी रहीं हूँ, क्योंकि अभी चंद साँसे शेष है।
लक्ष्मी सिंह
दोहा त्रयी. . . शीत
दोहा त्रयी. . . शीत
sushil sarna
हजारों  रंग  दुनिया  में
हजारों रंग दुनिया में
shabina. Naaz
मोहब्बत
मोहब्बत
Dinesh Kumar Gangwar
Ranjeet Shukla
Ranjeet Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
" तुम से नज़र मिलीं "
Aarti sirsat
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Take responsibility
Take responsibility
पूर्वार्थ
चुनावी चोचला
चुनावी चोचला
Shekhar Chandra Mitra
■ नज़रिया बदले तो नज़ारे भी बदल जाते हैं।
■ नज़रिया बदले तो नज़ारे भी बदल जाते हैं।
*Author प्रणय प्रभात*
सूर्य अराधना और षष्ठी छठ पर्व के समापन पर प्रकृति रानी यह सं
सूर्य अराधना और षष्ठी छठ पर्व के समापन पर प्रकृति रानी यह सं
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आड़ी तिरछी पंक्तियों को मान मिल गया,
आड़ी तिरछी पंक्तियों को मान मिल गया,
Satish Srijan
Global climatic change and it's impact on Human life
Global climatic change and it's impact on Human life
Shyam Sundar Subramanian
तेरी ख़ामोशी
तेरी ख़ामोशी
Anju ( Ojhal )
कह पाना मुश्किल बहुत, बातें कही हमें।
कह पाना मुश्किल बहुत, बातें कही हमें।
surenderpal vaidya
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १)
Kanchan Khanna
दोहावली
दोहावली
Prakash Chandra
Loading...