Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Feb 2019 · 1 min read

कुछ हो गए उदास हैं

/////////कुछ हो गए उदास हैं ////////
*****************************

इस देश की जनता इस लिए महान है

सारे सितम सहे नहीं खुलती जुबान है

ऐसी आबोहवा पर हमें रहता गुमान है

जहां जनता हुई बूढ़ी व नेता जवान हैं

***

बोलते रहे जय जवान जय किसान है

पीछे इसी के कुर्सियों की खींचतान है

जो जलाए संपत्ति और तोड़े विधान है

वो सारे मिल रहे बचा अब संविधान हैं

**

जो रहे एक दूसरे पे यहां ताने कमान हैं

हो रहा इस मंच पे उन सबका जुटान है

गज़ब का भाई-चारा सब में दिखा यहां

अब वही एक दूसरे का करते बखान है

***

निगाहें रहीं कहीं और निशाना रहा कहीं

हैं नेता की आदतें यही चरितार्थ कर रहीं

सत्ता महक जहां भी महकती दिखाई दी

वो मधुकरों की तरह तो मंडराते रहें वहीं

***

वो करते रहे इस देश का ऐसा विकास है

कुछ के खिले चेहरे कुछ हो गए उदास है

आ गई उपहारों की किसी के घर बहार है

किसी को केवल मिला उड़ता उपहास है

***

– रामचन्द्र दीक्षित ‘अशोक’
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

Language: Hindi
310 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दान देने के पश्चात उसका गान  ,  दान की महत्ता को कम ही नहीं
दान देने के पश्चात उसका गान , दान की महत्ता को कम ही नहीं
Seema Verma
पहाड़ की सोच हम रखते हैं।
पहाड़ की सोच हम रखते हैं।
Neeraj Agarwal
बिसुणी (घर)
बिसुणी (घर)
Radhakishan R. Mundhra
बाल कविता: भालू की सगाई
बाल कविता: भालू की सगाई
Rajesh Kumar Arjun
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
विचार~
विचार~
दिनेश एल० "जैहिंद"
निर्बल होती रिश्तो की डोर
निर्बल होती रिश्तो की डोर
Sandeep Pande
वृक्ष बन जाओगे
वृक्ष बन जाओगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
तुम अपना भी  जरा ढंग देखो
तुम अपना भी जरा ढंग देखो
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दिल की दहलीज़ पर जब भी कदम पड़े तेरे।
दिल की दहलीज़ पर जब भी कदम पड़े तेरे।
Phool gufran
जिसकी याद में हम दीवाने हो गए,
जिसकी याद में हम दीवाने हो गए,
Slok maurya "umang"
ग़ज़ल/नज़्म - दिल में ये हलचलें और है शोर कैसा
ग़ज़ल/नज़्म - दिल में ये हलचलें और है शोर कैसा
अनिल कुमार
हिंदीग़ज़ल की गटर-गंगा *रमेशराज
हिंदीग़ज़ल की गटर-गंगा *रमेशराज
कवि रमेशराज
दो जून की रोटी
दो जून की रोटी
Ram Krishan Rastogi
*लफ्ज*
*लफ्ज*
Kumar Vikrant
*कभी होती अमावस्या ,कभी पूनम कहाती है 【मुक्तक】*
*कभी होती अमावस्या ,कभी पूनम कहाती है 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
भारत माता की वंदना
भारत माता की वंदना
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
बदनाम गली थी
बदनाम गली थी
Anil chobisa
कौन कहता ये यहां नहीं है ?🙏
कौन कहता ये यहां नहीं है ?🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दोजख से वास्ता है हर इक आदमी का
दोजख से वास्ता है हर इक आदमी का
सिद्धार्थ गोरखपुरी
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
चंडीगढ़ का रॉक गार्डेन
चंडीगढ़ का रॉक गार्डेन
Satish Srijan
पिता
पिता
Harendra Kumar
** मंजिलों की तरफ **
** मंजिलों की तरफ **
surenderpal vaidya
दूर रहकर तो मैं भी किसी का हो जाऊं
दूर रहकर तो मैं भी किसी का हो जाऊं
डॉ. दीपक मेवाती
दासी
दासी
Bodhisatva kastooriya
बेटियों ने
बेटियों ने
ruby kumari
सूने सूने से लगते हैं
सूने सूने से लगते हैं
Er. Sanjay Shrivastava
⚪️ रास्तो को जरासा तू सुलझा
⚪️ रास्तो को जरासा तू सुलझा
'अशांत' शेखर
अवसाद
अवसाद
Dr Parveen Thakur
Loading...