कुछ लोग टाँग खिंचाई में लगे हैं
कुछ लोग ज़ुबाँ की पारसाई में लगे हैं
कुछ लोग टाँग खिचाई में लगे हैं
खुद जिनके दामन बड़े दागदार हैं
वो लोग मुल्क की सफाई में लगे हैं
वो क्या कोई सच्चाई उजागर करेंगे
जो झूठों की लब कुशाई में लगे हैं
जो कल तक खुद को चाँद कहते थे
आज अँधेरों की रहनुमाई में लगे हैं
इतने जख्म ‘अर्श’ अदावत में नहीं खाये
जितने जख्म तेरी आशनाई में लगे है