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14 Aug 2020 · 1 min read

कुछ लम्हों के लिए

कुछ लम्हों के लिए राब्ता था तेरा मेरा
शायद यहीं तक एक रास्ता था तेरा मेरा

यह दिल ही था जिसने तुम्हें अपना कहा
वरना यहाँ क्या वास्ता था तेरा मेरा

नज़दीक रहकर तो एहसास ही नहीं हुआ
दूरियाँ बताएँगी क्या रिश्ता था तेरा मेरा

न जाने क्यूँ छलक उठते थे मेरे आँसु ‘अर्श’
नाम एक साथ जो मैं लिखता था तेरा मेरा

1 Like · 4 Comments · 259 Views
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