कुछ भी नहीं पाया ठहर (गीत)
कुछ भी नहीं पाया ठहर (गीत)
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खो गया सब देर तक कुछ भी नहीं पाया ठहर
(1)
साथ दादा और दादी कुछ दिनों तक ही रहे
गोद में ले प्यार के कुछ शब्द ही हँसकर कहे
याद बचपन की बहुत आती है उनको याद कर
(2)
साथ था माता पिता मामा बुआ का ताई का
संबंध यह इतना घना जैसे कलम का स्याही का
आधार जीवन के सदा भाई बहन परिवार घर
(3)
आकाश में तारे हजारों देखने में आ रहे
कौन है इनमें हमारा तय नहीं कर पा रहे
पास में थे, दूर ही बस आ रहे हैं अब नजर
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रचयिताः रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र)
मोबाइल 999 761 545 1