Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Oct 2017 · 1 min read

जागृति के साथ उत्सव मनाओ,

खुशियाँ मनाओ..उत्सव मनाओ,
जीवंत होने का संदेश दो,
पर पाखंड को छोड़कर,
नि ज ता की खोज मेंं,
प्रेम-प्यार मे घुल-मिल एक हो जाओ,
.
जागरण मनाओ,
जीवन मिला है,
अपने जीवंत होने का हर साक्ष्य के
………..उदाहरण बन जाओ,
बस पाखंड को अलविदा कह दो,
तुम्हारा जन्म लेना …सफल हुआ,
.
आस्तिक भगौड़ा है,
बात-बात में शरण लेता है,
नास्तिकता सामना है,
खुद का खुद से सामना,
भुजदिलों का काम नहीं है,
ऐसा करना,
.
डॉ महेंद्र तेरा मानना है,
जीवन में सेवक बनना है,
स्वयं को जान लो,
फिर सब कुछ अर्थपुर्ण है,
अन्यथा सबकुछ व्यर्थ,
.
डॉ महेंद्र सिंह खालेटिया,

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 304 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahender Singh
View all
You may also like:
"बिना पहचान के"
Dr. Kishan tandon kranti
सोशल मीडिया पर दूसरे के लिए लड़ने वाले एक बार ज़रूर पढ़े…
सोशल मीडिया पर दूसरे के लिए लड़ने वाले एक बार ज़रूर पढ़े…
Anand Kumar
बाद मुद्दत के हम मिल रहे हैं
बाद मुद्दत के हम मिल रहे हैं
Dr Archana Gupta
चुनाव
चुनाव
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"आज का विचार"
Radhakishan R. Mundhra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
शीर्षक - खामोशी
शीर्षक - खामोशी
Neeraj Agarwal
दिल नहीं
दिल नहीं
Dr fauzia Naseem shad
भूमि भव्य यह भारत है!
भूमि भव्य यह भारत है!
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
भीम के दीवाने हम,यह करके बतायेंगे
भीम के दीवाने हम,यह करके बतायेंगे
gurudeenverma198
सच के साथ ही जीना सीखा सच के साथ ही मरना
सच के साथ ही जीना सीखा सच के साथ ही मरना
Er. Sanjay Shrivastava
प्रश्न –उत्तर
प्रश्न –उत्तर
Dr.Priya Soni Khare
आंख खोलो और देख लो
आंख खोलो और देख लो
Shekhar Chandra Mitra
सौगंध से अंजाम तक - दीपक नीलपदम्
सौगंध से अंजाम तक - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
Har Ghar Tiranga : Har Man Tiranga
Har Ghar Tiranga : Har Man Tiranga
Tushar Jagawat
*तू एक फूल-सा*
*तू एक फूल-सा*
Sunanda Chaudhary
कौन ?
कौन ?
साहिल
मेला एक आस दिलों🫀का🏇👭
मेला एक आस दिलों🫀का🏇👭
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
युद्ध नहीं अब शांति चाहिए
युद्ध नहीं अब शांति चाहिए
लक्ष्मी सिंह
चेहरे का रंग देख के रिश्ते नही बनाने चाहिए साहब l
चेहरे का रंग देख के रिश्ते नही बनाने चाहिए साहब l
Ranjeet kumar patre
■ सुरीला संस्मरण
■ सुरीला संस्मरण
*Author प्रणय प्रभात*
पिता के पदचिह्न (कविता)
पिता के पदचिह्न (कविता)
दुष्यन्त 'बाबा'
हम तूफ़ानों से खेलेंगे, चट्टानों से टकराएँगे।
हम तूफ़ानों से खेलेंगे, चट्टानों से टकराएँगे।
आर.एस. 'प्रीतम'
सुबह वक्त पर नींद खुलती नहीं
सुबह वक्त पर नींद खुलती नहीं
शिव प्रताप लोधी
अनपढ़ दिखे समाज, बोलिए क्या स्वतंत्र हम
अनपढ़ दिखे समाज, बोलिए क्या स्वतंत्र हम
Pt. Brajesh Kumar Nayak
होली के हुड़दंग में ,
होली के हुड़दंग में ,
sushil sarna
23/73.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/73.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आहिस्ता आहिस्ता मैं अपने दर्द मे घुलने लगा हूँ ।
आहिस्ता आहिस्ता मैं अपने दर्द मे घुलने लगा हूँ ।
Ashwini sharma
*इन्टरनेट का पैक (बाल कविता)*
*इन्टरनेट का पैक (बाल कविता)*
Ravi Prakash
तुम्हारी कहानी
तुम्हारी कहानी
PRATIK JANGID
Loading...