कुछ देर .
जरा देर से मिलेगी मंज़िल,
जानती हूँ,
ऐसा नहीं है कि कोशिशों में है कोई कमी,
या इरादा नहीं है मजबूत मेरा,
पर खुद ही रुकी हूँ कुछ देर,
खुद को जानने और पहचानने के लिए !
चुन सकती हूँ आसान रास्ता जल्दी जाने के लिए ,
पर जो असीम आनंद होगा कठिनाइओं के बाद उसे खोना नहीं चाहती,
हाँ इतनी जल्दी,
मैं चैन से सोना नहीं चाहती,
कड़कती धूप के बाद ही मज़ा है ठंडी छांव का,
मैं वो मज़ा खोना नहीं चाहती,
हाँ, खुद ही रुकी हूँ कुछ देर, कुछ देर …………